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Hindi Grammar ( व्याकरण ) पूरी जानकारी & PDF Book

Hindi Grammar ( व्याकरण ) :- आज हम आपको Hindi Grammar की पूरी जानकारी देने जा रहें हैं जो कि आपके सभी प्रतियोगी परिक्षाओं को देखते हुए बहुत ही Important हैं । अगर आप किसी भी प्रतियोगी परिक्षा की तैयारी कर रहें हैं तो आप आज केे  इस Hindi Notes को जरूर पढ़े। हम आपको यहां पर Hindi Grammar के सभी Chapters के बारे में विस्तार से और बहुत ही आसान भाषा में बातायेगें।

(i) भाषा : स्वरूप एवं लक्षण

प्रत्येक मानव अपने भावों, विचारों एवं अनुभूतियों को भाषा के माध्यम से व्यक्त करता है. सामान्यतः भाषा के दो रूप होते है-
लिखित और मौखिक. लिखित भाषा पर व्याकरण का अंकुश रहता है, जबकि मौखिक भाषा पर व्याकरण का अनुशासन उतना नहीं रहता.

भाषा एक सामाजिक सम्पत्ति है जिसका विकास समाज में होता है. भाषा को अर्जित किया जाता है. अतः यह पैतृक सम्पत्ति नहीं है.

यहाँ भाषा की दो प्रमुख परिभाषाएँ प्रस्तुत हैं-

1. डॉ. बाबूराय सक्सेना-“जिन ध्वनि चिह्नों द्वारा मनुष्य विचार विनिमय करता है, उसको समष्टि रूप में भाषा कहते हैं.”

2.डॉ. भोलानाथ तिवारी-“भाषा उच्चारण अवयवों से उच्चरित ध्वनि प्रतीकों की वह व्यवस्था है, जिसके द्वारा किसी भाषा समाज
के लोग आपस में विचारों का आदान-प्रदान करते हैं.

इन परिभाषाओं से भाषा के निम्नलखित लक्षण सामने आते हैं-

1. भाषा सामाजिक सम्पत्ति है.
2. भाषा उच्चारण अवयवों से उच्चरित होती है.
3. प्रत्येक भाषा पर व्याकरण का अंकुश रहता
4. भाषा परिवर्तनशील है.
5. भाषा मूलतः संवादात्मक है.
6. भाषा का एक भौगोलिक क्षेत्र होता है.
7. एक भाषा के अन्तर्गत कई बोलियाँ होती हैं.
8. भाषा का क्षेत्र विस्तृत होता है, बोली का अपेक्षाकृत सीमित.
9. भाषा का प्रयोग साहित्य में होता है, जबकि बोली का क्षेत्रीय
बोलचाल में तथा लोक साहित्य में होता है.
10. भाषा अर्जित सम्पत्ति है पैतक नहीं. पिता यदि अंग्रेजी जानता
है, तो पुत्र को अंग्रेजी विरासत में नहीं मिल सकती. उसे वह
भाषा अपने प्रयासों से सीखनी पड़ेगी.

(ii) हिन्दी भाषा के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण तथ्य

1. हिन्दी यूरोपियन परिवार (Indo European Family) की एक शाखा भारतीय आर्य भाषा परिवार के अन्तर्गत आने वाली आधुनिककालीन आर्यभाषाओं में से एक है.
2. हिन्दी का प्रारम्भ 1000 ई. के आसपास हुआ.
3. हिन्दी से ठीक पहले हिन्दी क्षेत्र में प्रचलित भाषा अपभ्रंश थी.
4. हिन्दी के अन्तर्गत पाँच उपभाषाएँ हैं- 1. पश्चिमी हिन्दी, 2. पूर्वी हिन्दी, 3. बिहारी हिन्दी, 4. राजस्थानी, हिन्दी, 5. पहाड़ी
हिन्दी.

5. उक्त पाँच उपभाषाओं के अन्तर्गत 18 बोलियाँ हैं जिनका विवरण इस प्रकार है-

(i) पश्चिमी हिन्दी-ब्रजभाषा, खड़ी बोली, कन्नौजी, बुन्देली, हरियाणवी.

(ii) पूर्वी हिन्दी-अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी.

(iii) बिहारी हिन्दी-भोजपुरी, मैथिली, मगही.

(iv) राजस्थानी हिन्दी-मेवाती, मालवी, मारवाड़ी, जयपुरी

(v) पहाड़ी हिन्दी-नेपाली, गढ़वाली, कुमायूँनी. खड़ी बोली को कौरवी, हरियाणवी को बांगरू और जयपुरी को ढूंढ़ाणी बोली भी कहते हैं.

6. जॉर्ज ग्रियर्सन ने हिन्दी के अन्तर्गत केवल दो उपभाषाएँ- पश्चिमी हिन्दी और पूर्वी हिन्दी मानीं तथा इनके अन्तर्गत आने
वाली आठ बोलियों को हिन्दी की बोलियाँ स्वीकार किया.

7. अपभ्रंश के क्षेत्रीय भेदों से हिन्दी की बोलियाँ विकसित हुईं. पश्चिमी हिन्दी का विकास शौरसेनी अपभ्रंश से तथा पूर्वी हिन्दी
का विकास अर्धमागधी अपभ्रंश से हुआ.

8. हिन्दी शब्द मूलतः फारसी शब्द ‘हिन्दु’ से विकसित है. संस्कृत का ‘सिन्ध’ शब्द ही फारसी में हिन्दु हो गया.

9. हिन्दी का विकास तीन चरणों में हुआ-प्राचीनकाल (1000-1500 ई.). मध्यकाल (1500-1800 ई.) और आधुनिक काल
(1800 ई. के उपरान्त).

10. गोरखनाथ, चंदबरदाई, विद्यापति, नरपतिनाल्ह प्राचीनकाल के कवि हैं. कबीर, जायसी, सूर, मीरा, तुलसी, केशव, बिहारी,
भूषण, घनानंद, देव मध्यकालीन हिन्दी कवि हैं, जबकि भारतेन्दु, मैथिलीशरण गुप्त, प्रसाद, पंत, निराला, महादेवी, बच्चन,
दिनकर, अज्ञेय, धर्मवीर भारती आदि आधुनिककाल के कवि हैं.

11. आधुनिक काल में हिन्दी गद्य की अनेक विधाएँ उपन्यास, नाटक, कहानी, एकांकी, आत्मकथा, रेखाचित्र, संस्मरण,
जीवनी, निबंध, आलोचना आदि विकसित हुई.

(iii) हिन्दी का संवैधानिक स्थिति

1. हिन्दी भारत की राजभाषा घोषित की गई है.

2. 14 सितम्बर, 1949 को संविधान सभा ने हिन्दी को भारत की राजभाषा (सरकारी कामकाज की भाषा) घोषित किया.

3. इसीलिए प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है.

4. 26 जनवरी, 1950 को गणतंत्र की स्थापना होने पर संघ कीराजभाषा हिन्दी लागू कर दी गई, किन्तु अहिन्दी भाषी कर्मचारियों की सुविधा के लिए अंग्रेजी से भी हिन्दी के साथ सरकारी कामकाज हेतु 15 वर्ष के लिए मान्यता दी गई. यह अवधि 1965 में समाप्त हो गई, किन्तु राजनीतिक कारणों सेबाद में इसे अनिश्चित काल तक के लिए बढ़ा दिया गया.

5. भारतीय संविधान के 17वें भाग के अध्याय 1 की धारा 343 (i) के अनुसार, “संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी
होगी.”

6. राजभाषा सम्बन्धी अनुच्छेद संविधान में 343 से 351 तक हैं.

7. वर्तमान में हिन्दी बोलने वालों की संख्या लगभग 70 करोड़ है.

8. हिन्दी भारत के बहुत बड़े भूभाग में बोली जाती है, जिसे हिन्दी क्षेत्र कहते हैं. इस हिन्दी क्षेत्र के अन्तर्गत भारत के 10 राज्य
हैं-हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, बिहार, झारखण्ड.

9. इनके अतिरिक्त कुछ राज्यों में अपनी क्षेत्रीय भाषाओं के साथ- साथ हिन्दी भी बोली समझी जाती है, यथा-पंजाब, जम्मू- कश्मीर, गुजरात, महाराष्ट्र आदि,

10. भारत के बहुसंख्यक लोगों की भाषा होने से हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा भी कहा जाता है. राष्ट्रभाषा का सम्बन्ध संविधान से नहीं है, जबकि राजभाषा संविधान द्वारा घोषित की गई है.

11. मानक हिन्दी का तात्पर्य है हिन्दी का वह स्वरूप जो शिक्षा, समाचार-पत्र, पुस्तकों, सूचना तकनीक, आकाशवाणी, दूरदर्शन
आदि में प्रयोग में लाया जाता है, यह खड़ी बोली हिन्दी से विकसित स्वरूप है. इसे परिनिष्ठित हिन्दी (Standard Hindi) भी कहा जाता है. इसमें क्षेत्रीयता का पुट नहीं होता, हिन्दी का यही स्वरूप शहरों में चलता है, स्कूल, कॉलेजों में शिक्षा के माध्यम के रूप में यही प्रयुक्त है.

12. हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है जिसमें 52 वर्ण हैं. इनमें से स्वर ध्वनियों की संख्या 11 है. वर्णमाला इस प्रकार हैं-

स्वर-अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ.

अनुस्वार- अं

विसर्ग- अः

व्यंजन- क, ख, ग, घ, ड़ — कण्ठ्य

च, छ, ज, झ, ञ — तालव्य

ट, ठ, ड, ढ, ण — मूर्द्धन्य

त,थ, द, ध, न — दंत्य

प, फ, ब, भ, म — ओष्ठ्य

य,र,ल,व — अंतस्थ

श, ष, स, ह — ऊष्म

क्ष,त्र,ज्ञ, श्र — सयुक्त व्यंजन

ड़, ढ़ — द्विगुण (उत्क्षिप्त) व्यंजन

13. संयुक्त व्यंजन निम्नलिखित व्यंजनों के मेल से बने हैं-

क्ष= क +ष

त्र = तू +र

ज्ञ= ज+ ञ्

श्र = श् + र

14. य, व को अर्द्धस्वर कहा जाता है.

15. अनुस्वार () व्यंजनों के अन्तर्गत आता है. इसके उच्चारण में वायु नासिका से निकलती है,

16. स्वरों के उच्चारण में भीतर से आने वाली वायु अवाध रूप से बाहर निकलती है, जबकि व्यंजकों के उच्चारण में वह अवरुद्ध होकर निकलती है

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Chapter Name

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Viram Chinh (विराम चिन्ह) Click Here
Sangya (संज्ञा)Click Here
Sarvanam (सर्वनाम)Click Here
Kriya (क्रिया)Click Here
Visheshan (विशेषण)Click Here
Ling (लिंग)Click Here
Sandhi (संधि)Click Here
Sanskrit Shabd Roop (संस्कृत शब्द रूप)Click Here
Anekarthi Shabd (अनेकार्थी शब्द)Click Here
Ekarthak Shabd (एकार्थक शब्द)Click Here
One Word Substitution (अनेक शब्दों के लिए एक शब्द)Click Here

Vilom Shabd (विलोम शब्द)

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Paryayvachi Shabd (पर्यायवाची शब्द)Click Here
Ras (रस)Click Here

Karak (कारक)

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Samas (समास)Click Here
Shabd Vichar (शब्द विचार)Click Here
Varnamala (वर्णमाला)Click Here

Pad Parichay (पद परिचय)

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Vakya (वाक्य)Click Here
Kriya Visheshan (क्रिया विशेषण)Click Here
Samuchchay Bodhak (समुच्चय बोधक)Click Here
Vismayadibodhak (विस्मयादिबोधक)Click Here
Vachan (वचन)Click Here
Upsarg (उपसर्ग)Click Here
Pratyay (प्रत्यय) Click Here
Chhand (छन्द)Click Here
Alankar (अलंकार)Click Here
Paryayvachi Shabd (पर्यायवाची शब्द)Click Here
Tatsam-Tadbhav (तत्सम-तद्भव शब्द)Click Here
Muhavare (मुहावरे)Click Here
Hindi Essay (हिंदी निबंध)Click Here
Swar (स्वर )Click Here
Vyanjan (व्यंजन )Click Here
भाषा, बोलीClick Here
लिपिClick Here

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