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National Education Policy 1986:-राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनपीई) भारत के लोगों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा बनाई गई नीति है। यह नीति प्राथमिक शिक्षा को ग्रामीण और शहरी दोनों भारत के कॉलेजों में शामिल करती है। पहली NPE को 1968 में प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा भारत सरकार द्वारा, दूसरी बार 1986 में प्रधान मंत्री राजीव गांधी द्वारा और तीसरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2020 में शुरू की गई थी।

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National Education Policy 1986

राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रारूप के मुख्य तथ्य

  1. 1986 के बाद पहली बार एक व्यापक शिक्षा नीति तैयार की जा रही है.
  2. यह नीति इन चार नींवों पर रखी गई है – उपलब्धता, समानता, गुणवत्ता, सुलभता और उत्तरदायित्व.
  3. तीन वर्ष से छह वर्ष तक के सभी बच्चों को 2025 तक उच्च कोटि की शिक्षा के साथ-साथ देखभाल की व्यवस्था की जायेगी.
  4. यह व्यवस्था विद्यालयों और आँगनवाड़ियों में भी की जायेगी क्योंकि वहाँ बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य और पोषण का भी ध्यान रखा जाता है.
  5. जो बच्चे तीन वर्ष से कम के होंगे उनके परिवारों को भी विद्यालय और आँगनवाड़ियाँ वही सुविधाएँ उपलब्ध कराएंगी.
  6. 2025 तक सभी बच्चे उम्र के अनुसार साक्षरता और अंक ज्ञान प्राप्त करने लगेंगे. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसके लिए कई प्रकार के कार्यक्रमों और उपायों का वर्णन किया गया है.
  7. पाठ्यक्रमों और बाल शिक्षा से सम्बंधित अन्य संरचनाओं को फिर से रूपांकित किया जाएगा. विद्यालय की पढ़ाई और अन्य शिक्षेतर गतिविधियों पर एक साथ ध्यान दिया जाएगा.
  8. शैक्षणिक पढ़ाई के साथ-साथ व्यावसायिक पढ़ाई की सुविधा भी दी जायेगी.
  9. ऐसी परीक्षा पद्धति बनाई जायेगी जिससे बच्चे तनाव से मुक्त हो कर सही ज्ञान पा सकें.
  10. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप में यह लक्ष्य रखा गया है कि से 18 वर्ष के बीच के सभी बच्चों को 2030 तक विद्यालय की शिक्षा मिले. इसके लिए शिक्षा अधिकार अधिनियम का दायरा स्कूल-पूर्व शिक्षा से 12वीं तक बढ़ा दिया जाएगा.
  11. शिक्षक शिक्षा के मूल आधार होते हैं. अतः नई शिक्षा नीति में शिक्षकों को शैक्षणिक प्रणाली के केंद्र में रखा गया है. सभी विद्यालयों में पर्याप्त संख्या में शिक्षक होंगे और उनके काम करने के लिए ऐसा परिवेश दिया जाएगा जिससे विद्यालय में उत्तम कार्य-संस्कृति का उदय हो. एक भी अस्थायी शिक्षक नहीं रखा जाएगा. सभी पदों पर सक्षम और योग्य शिक्षक नियुक्त होंगे.
  12. अच्छे शिक्षक तैयार हो सकें इसके लिए चार वर्षों का एक कठोर प्रशिक्षण शिक्षकों को उनके अपने-अपने विषय के लिए दिया जाएगा.
  13. भारत के वर्तमान में चल रहे 800 विश्वविद्यालयों और 40,000 से अधिक महाविद्यालयों को जोड़कर 10-15 हजार ऐसे संस्थानों में बदल दिया जाएगा जो उत्कृष्टता के लिए जाने जाएँगे जिससे गुणवत्ता में सुधार हो और क्षमता का विस्तार हो. नई व्यवस्था में केवल बड़े-बड़े कई शैक्षणिक शाखाओं वाले संस्थान रह जाएँगे जिनमें अच्छा-ख़ासा निवेश किया जाएगा.
  14. उच्चतर शिक्षा के संस्थान तीन प्रकार के होंगे – i) प्रकार एक (Type 1) में वे विश्वविद्यालय होंगे जो मुख्यतः शोध पर ध्यान देंगे, परन्तु स्नातक से लेकर PHD तक की पढ़ाई भी साथ-साथ चलेगी ii) प्रकार दो (Type 2) में वे विश्वविद्यालय आएँगे जिनका मुख्य ध्यान पढ़ाई पर होगा, पर वहाँ साथ-साथ शोध कार्य भी चलेगा iii) प्रकार तीन (Type 3) में महाविद्यालय आएँगे जहाँ स्नातक की पढ़ाई होगी.
  15. ये सभी संस्थान अपनी ओर से डिग्री बाँटेंगे अर्थात् ये विश्वविद्यालय की सम्बद्धता (affiliations) का नियम नहीं होगा.
  16. महाविद्यालयों में विज्ञान, कला, मानविकी, गणित और व्यावसायिक शिक्षा उपलब्ध कराई जायेगी और छात्र स्वतंत्र रूप से विषयों का चयन करेंगे. छात्र अपनी इच्छानुसार किसी पाठ्यक्रम में प्रवेश और वहाँ से निकल भी सकेंगे. उन्होंने जितनी पढ़ाई की उस हिसाब से उनको उचित डिग्री मिलेगी.
  17. स्नातक के लिए तीन वर्षों का पाठ्यक्रम होगा परन्तु साथ ही चार वर्षों का कार्यक्रम भी उपलब्ध होगा.
  18. सार्वजनिक शिक्षा के सभी स्तरों पर सरकारी निवेश में बढ़ोतरी की जायेगी.

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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप में क्या कमी है?

  1. यह ठीक है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप में इस बात पर चर्चा हुई है कि समाज के कई ऐसे समूह हैं जिनका शिक्षा प्रणाली में प्रतिनिधित्व नहीं है. परन्तु राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप वर्तमान प्रणाली में पहले से विद्यमान असमानताओं का उल्लेख नहीं करता है.
  2. गुणवत्तायुक्त शिक्षा गरीब बच्चों के लिए सुलभ नहीं है जबकि अमीर बच्चों के लिए है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रारूप में इस खाई को पाटने के विषय में कुछ नहीं कहा गया है.
  3. प्रारूप में विद्यालयों के लिए एक सामान्य न्यूनतम स्तर बताना चाहिए था जिसके नीचे कोई विद्यालय नहीं जा सके.
  4. नई शिक्षा नीति में अभिभावकों को निजी विद्यालयों के नियामक के रूप में प्रस्तुत किया गया है. परन्तु यह संभव नहीं प्रतीत होता है क्योंकि विद्यालय के संचालक संसाधन के मामले में सशक्त और समृद्ध होते हैं. उनसे विद्यालय में गुणवत्ता, सुरक्षा और समानता लागू करवाना अभिभावकों वश की बात नहीं होगी, विशेषकर गरीब और नवशिक्षित अभिभावकों के लिए.

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चुनौतियाँ

  • नई शिक्षा नीति में शिक्षा पर खर्च होने वाली धनराशि को दुगुना कर GDP का 6% करने तथा शिक्षा पर समग्र सार्वजनिक व्यय को वर्तमान 10% से बढ़ाकर 20% करने की बात कही गई है. यह वांछनीय तो है पर निकट भविष्य में यह संभव नहीं दिखता क्योंकि अधिकांश अतिरिक्त धनराशि राज्यों से आनी है.
  • प्रारूप में पालि, प्राकृत और फारसी के लिए नए संस्थान बनाने की बात कही गई है. यह एक नवीन विचार है, परन्तु क्या अच्छा नहीं होता कि इसके बदले मैसूरू में स्थित केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान को ही एक विश्वविद्यालय बनाते हुए इन भाषाओं के अध्ययन के लिए सुदृढ़ किया जाता.
  • शिक्षा अधिकार अधिनियम को विस्तारित करते हुए उसमें स्कूल-पूर्व बच्चों को शामिल करना एक अच्छा प्रस्ताव है. परन्तु यह काम धीरे-धीरे होना चाहिए क्योंकि वर्तमान शैक्षणिक अवसंरचना और शिक्षक पदों में रिक्तियों को देखते हुए यह काम तेजी से नहीं हो सकता है. पुनः शिक्षा अधिकार अधिनियम में इस आशय का सुधार करने में भी समय लग सकता है.
  • नई नीति के अनुसार प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय शिक्षा आयोग गठित होना है. परन्तु इस आयोग की राह कई प्रशासनिक कारणों से काँटों भरी हो सकती है. उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक, 2017 का क्या होगा? चिकित्सा, कृषि और विधि से सम्बंधित संस्थानों को एक ही छतरी के अन्दर लाना सरल नहीं होगा.
  • प्रस्तावित नीति में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामक प्राधिकरण (National Higher Education Regulatory Authority) की अभिकल्पना है. पर यह प्राधिकरण नियमन करने में कहाँ तक सफल होगा कहा नहीं जा सकता.
  • नई शिक्षा नीति के प्रारूप में उच्चतर शिक्षा निधि एजेंसी (Higher Education Funding Agency) जैसी एजेंसियों और उत्कृष्ट संस्थानों के विषय में मौन है.

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आशा करता हू कि हमारे द्वारा दी गई List National Parks In India की जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपको अपने प्रतियोगी परिक्षा कि तैयारी करने में भी मदद मिलेगी।दोस्तों इस book में आप को Competitive exam में अब तक के पूछे गए सभी प्रकार के Question मिल जायेंगे || आप कर competitive exam की तैयारी कर रहे हैं तो ये book आप के लिए बहुत ही important हैं आप के लिए , और अगर आपको ये सभी जानकारी अच्छी लगी हो तो Comment Box में जाकर हमें Comment करके जरूर बतायें जिससे कि हम इसी तरह प्रतिदिन आपके उज्जवल भविष्य के लिए कुछ न कुछ लाते रहें। 

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