Paryayvachi Shabd ( पर्यायवाची शब्द ) परिभाषा- प्रायः समान अर्थ रखने वाले शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहा जाता है।
1. पूर्ण पर्याय- वाक्य में यदि एक शब्द के स्थान पर दूसरा शब्द रखा जा सके और अर्थ में कोई अंतर न पड़ता हो, तो यह उसका पूर्ण पर्याय है। जैसे–जलज, वारिज।
2. पूर्णापूर्ण पर्याय- जो एक प्रसंग में तो पूर्ण पर्याय हो, किंतु दूसरे प्रसंग में समानार्थक न रह पाए; जैसे—कपड़े टाँगना के स्थान पर कपड़े लटकाना कह दें तो वही अर्थ प्राप्त होता है, परंतु ‘वह मुँह लटकाए बैठा है’ के स्थान पर वह ‘मुंह टाँगे बैठा है’ नहीं कह सकते।
3. अपूर्ण पर्याय- समानार्थक शब्दों में अर्थ भेद
भले ही पर्यायवाची शब्द मोटे तौर पर समान अर्थ व्यक्त करें, किन्तु गहराई से विचार करने पर उनमें अर्थगत सूक्ष्म अन्तर अवश्य
होता है. यथा-कमल के तीन पर्यायवाची लें-राजीव, इंदीवर, पुण्डरीक. यद्यपि ये तीनों शब्द कमल के लिए प्रयुक्त हैं, किन्तु इनके रंग अलग हैं- राजीव, लाल कमल, इंदीवर नीलकमल और पुण्डरीक- पीले कमल के लिए प्रयुक्त है. इसी प्रकार जल, पानी में अन्तर है. जल में पवित्रता, स्वच्छता है यथा- पूजा के लिए जल ले आओ. पानी में वह पवित्रता नहीं, यथा-खेत में पानी लगाना है. सिंचाई के लिए प्रयुक्त पानी में पवित्रता नहीं देखी जाती।
महत्वपूर्ण पर्यायवाची शब्द ( Important Synonym words In Hindi )
- अमृत- सुधा, अमिय, सोम, पीयूष, अमी, सुरभोग, मधु, जीवनोदक।
- अश्व- हय, बाजि, तुरंग, घोटक, घोड़ा, रविसुत, सैंधव।
- आकाश- गगन, नभ, अम्बर, व्योम, अनन्त, अन्तरिक्ष, शून्य,अभ्र, पुष्कर, तारापथ, नाक, आसमान, फलक, दिव, खगोल,
- आम- सहकार, रसाल, आम्र, पियम्बु, पिकबन्धु, अमृतफल, अंब, फलश्रेष्ठ, मधुरासव, पिकप्रिय, पिकवल्लभ।
- आँख- लोचन, नयन, नेत्र, चक्षु, दृग, अक्षि, अम्बक, चख, दीदा, ईक्षण, विलोचन, प्रेक्षण।
- इच्छा- अभिलाषा, आकांक्षा, कामना, लालसा, उत्कंठा, वाञ्छा, रुचि, तृष्णा, मनोरथ, चाह, मर्जी, स्पृहा, लिप्सा।
- इन्द्र- सुरपति, शचीपति, मधवा, शक्र, पुरन्दर, कौशिक, देवराज, मेघपति, सुरेन्द्र, सुरेश, सहस्राक्ष, अमरपति, जिष्णु, पुरहुत, बिवुधेश,वज्रधर।
- कमल-उत्पल, कुशेशय, मकरन्द, अब्ज, पंकरुह, पाथोज, सारंग,कुवलय, इन्दीवर, पद्म, नलिन, सरोज, अरविन्द, शतपत्र, सरसिज,
शतदल, सरसीरुह, राजीव, अम्भोज, पंकज, अंबुज, पुण्डरीक,वारिज, सरोरुह, जलज, नीरज, कोकनद। - कपड़ा- पोशाक, लिबास, वस्त्र, दुकुल, पट, वसन, अम्बर, चीर,परिधान, पहरावा।
- कल्पवृक्ष– सुरतरु, हरिचन्दन, मन्दार, पारिजात, देववृक्ष कल्पतरु,कल्पशाल, कल्पद्रुम, देवद्रुम।
- कामदेव- मदन, मनोभव, पंचशर, मार, स्मर, मनसिज, मन्मथ,मीनकेतु, कन्दर्प, अनंग, रतिपति, मनोज, मयन, मकरध्वज, कुसुमशर, केतन, पुष्पधन्वा, काम, कंदर्प, कुसमेषु, प्रद्युम्न
- किरण- कलाकेतु, कर, मरीचि, मयूख, अंशु, रश्मि
- कार्तिकेय- कुमार, षडानन, शरभव, स्कन्द।
- कुबेर- यक्षराज, धनद, धनाधिप, किन्नरेश, धनपति, धनेश, अलंकेश, धनपाल, धनेश्वर, यक्षपति, श्रीद, राजराज।
- कोयल-पिक, कोकिला, श्यामा, मदनशलाका, कलघोष, वसन्तदूत।
- कृष्ण- राधारमण, श्याम, मोहन, वंशीधर, माधव, नंदलाल, मुरलीधर, गिरिधर, कन्हैया, बनवारी, नंदनंदन, वासुदेव, हृषीकेश,
गोविन्द, मुरारी, मुकुन्द, दामोदर, ब्रजवल्लभ, गोपीनाथ, क्षीरसायी,कंसारि, मधुसूदन। - गणेश- विनायक, एकदन्त, द्वियानृज, वक्रतुण्ड, लम्बतुण्ड, गजानन,गणाधि, लम्बोदर, गणपति, हेरम्ब, द्वैमातुर, गजबदन, गिरिजानन्दन, विन-विनायक, गौरीसुत, गोदकप्रिय, मूषक वाहन, महाकाय, भवानीनन्दन।
- गृह- घर, सदन, भवन, मन्दिर, धाम, । आगार, आलय, निलय, गोह, शाला, ओक, निकेत, आशियाना, अयनशाला, मकान।
- गरुड़- खगेश, पन्नगारि, उरगारि, हरियान, वातनेय, खगपति, सुपर्ण, नागान्तक, वैनतेय, खगेश्वर, सारि।
- गज- हस्ति, कुंजर, करी, गयन्द, मतंग, वितुण्ड, कुंभी।
- गाय- गौरी, गो, गऊ, गइया, धेनु, भद्रा, दोग्धी, गौ, सुरभी। गदहा-खर, रासभ, गर्दभ, वैशाखनन्दन।
- गंगा- भागीरथी, जाह्नवी, सुरसरि, देवसरि, त्रिपथगा, सुरधुनी,
- चाँदनी- चन्द्रिका, कौमुदी, ज्योत्स्ना, चन्द्रमरीचि, उजियारी, हिमकर,कलानिधि, अमृत, तरंगिणी, चन्द्रकला, जुन्हाई।
- चन्द्रमा- निशानाथ, इन्दु, शशि, शशांक, सुधाकर, एकापति,हिमांशु, निशिपति, हिमकर, निधि, सुधाकर, निशाकर, विभाकर,
सुधांशु, विधु, राकेश, कलानिधि, मंयक, चंद्र, कलानाथ, सोम,क्षपाकर, मृगलांछन। - जमुना- सूर्यतनया, सूर्यसुता, कालिन्दी, अर्कजा, तरणिजा, कृष्णा,यमुना, रवितनया, रविनन्दिनीं।
- जीभ- जिह्वा, रसना, रसज्ञा, रसिका, रसला, ज़बान।
- तालाब- तड़ाग, सर, पद्माकर, हृद, कासार, छेद, दह, जलाशय, ताल, सरसी, पुष्कर, सरोवर, पोखर।
- तलवार- असि, कृपाण, खड्ग, चन्द्रहास, करवाल, खंग।
- देवता- देव, अमर, सुर, विवुध, अजर, अमर्त्य, आदित्य, निर्जर,त्रिदश।
- द्रौपदी-कृष्णा, पांचाली, द्रुपदसुता, सैरंध्री, याज्ञसेनी।
- धनञ्जय- अर्जुन, पार्थ, कौन्तेय, गुडाकेश, गांडीवधर, श्वेतवाहन,वीभत्सु, सव्यसाची।
Paryayvachi Shabd ( पर्यायवाची शब्द )
( अ )
अंग – शरीर , गात , अंश , तन ,
अंश – अवयव , भाग , हिस्सा ,
अंधेरा – तम , तमिस्रा , तिमिर , अंधकार ,
अग्नि – वैश्वानर , अनल , दहल , धूम्रकेतु , आग , पावक , ज्वाला , कृशानु , जातदेव ,
अनुपम – अतुल , अनोखा ,अद्वितीय , अद्भुत , अनुण , अपूर्व ,
अन्वेषण – पूछताछ , शोध , खोज , गवेषण , जांच ,अनुसंधान , छानबीन ,
अपमान : अनादर, अवहेलना, अवमान, तिरस्कार , अवज्ञा,
अलंकार : आभूषण, भूषण, विभूषण, गहना, जेवर
अहंकार : दंभ, गर्व, अभिमान, दर्प, मद, घमंड, मान
अमृत : सुधा, अमिय, पीयूष, सोम, मधु, अमी , सुरभोग
असुर : दैत्य, दानव, राक्षस, निशाचर, रजनीचर, दनुज, रात्रिचर, तमचर
अतिथि : मेहमान, अभ्यागत, आगन्तुक, पाहूना
अनुपम : अपूर्व, अतुल, अनोखा, अदभुत, अनन्य
अरण्य : वन , जंगल , विपिन , अटवी , कानन , कान्तार
अर्थ : धन्, द्रव्य, मुद्रा, दौलत, वित्त, पैसा
अंक – संख्या, गिनती, क्रमांक, निशान, चिह्न, छाप।
अंकुर – कोंपल, अँखुवा, कल्ला, नवोद्भिद्, कलिका, गाभा
अंकुश – प्रतिबन्ध, रोक, दबाव, रुकावट, नियन्त्रण।
( आ )
आम : रसाल, आम्र, सौरभ, मादक, अमृतफल, सहुकार
आँगन : प्रांगण , अंगना , अजिरा।
अनी : सेना , फ़ौज , चमु , अनीकिनी , दल ,कटक ,
आग : अग्नि, अनल, हुतासन, पावक, दहन, ज्वलन, धूमकेतु, कृशानु, वहनि, शिखी, वह्नि
आँख : लोचन, नेत्र, चक्षु, दृग, विलोचन, नयन, दृष्टि, अक्षि ,
आकाश : नभ, गगन, अम्बर, व्योम, अनन्त, आसमान, अंतरिक्ष, शून्य, अर्श
आनंद : हर्ष, सुख, आमोद, मोद, प्रमोद, उल्लास
आश्रम : कुटी, विहार, मठ, संघ, अखाडा
आंसू : नेत्रजल, नयनजल, चक्षुजल, अश्रु
आत्मा : देव, अंतःकरण , जीव, चैतन्य, चेतनतत्तव,
आकुल – व्यग्र, बेचैन, क्षुब्ध, बेकल।
आकृति – आकार, चेहरा –मोहरा, नैन –नक्श, डील –डौला
आदर्श – प्रतिरूप, प्रतिमान, मानक, नमूना।
आलसी – निठल्ला, बैठा –ठाला, ठलुआ, सस्त, निकम्मा, काहिला
आयुष्मान् – चिरायु, दीर्घायु, शतायु, दीर्घजीवी, चिरंजीव।
आज्ञा – आदेश, निदेश, फ़रमान, हुक्म, अनुमति, मंजूरी, स्वीकृति, सहमति, इजाज़ता
आश्रय – सहारा, आधार, भरोसा, अवलम्ब, प्रश्रय।
आख्यान – कहानी, वृत्तांत, कथा, किस्सा, इतिवृत्ता
आधुनिक – अर्वाचीन, नूतन, नव्य, वर्तमानकालीन, नवीन, अधुनातन।
आवेग – तेज़ी, स्फूर्ति, जोश, त्वरा, तीव्र, फुरती, चपलता।
आलोचना – समीक्षा, टीका, टिप्पणी, नुक्ताचीनी, समालोचना।
आरम्भ – श्रीगणेश, शुरुआत, सूत्रपात, प्रारम्भ, उपक्रम।
आवश्यक – अनिवार्य, अपरिहार्य, ज़रूरी, बाध्यकारी।
आदि – पहला, प्रथम, आरम्भिक, आदिमा
आपत्ति – विपदा, मुसीबत, आपदा, विपत्ति।
आकाश – नभ, अम्बर, अन्तरिक्ष, आसमान, व्योम, गगन, दिव, द्यौ, पुष्कर, शून्य।
आचरण – चाल –चलन, चरित्र, व्यवहार, आदत, बर्ताव, सदाचार, शिष्टाचार।
आडम्बर – पाखण्ड, ढकोसला, ढोंग, प्रपंच, दिखावा।
( इ )
इच्छा : आकांक्षा, अभीष्ट ,चाह, कामना, लालसा, मनोरथ, अभिलाषा, अभिप्राय,
इन्द्र : सुरेश, सुरेन्द्र,शचीपति, मेघवाहन, पुरंदर, देवराज, देवेन्द्र, सुरपति, शक्र, मधवा, महेन्द्र, पुरुहूत,यासव
इन्द्राणि : इन्द्रवधू, मधवानी, शची, शतावरी, पोलोमी
इन्द्राणी – शची, इन्द्रवधू, महेन्द्री, इन्द्रा, पौलोमी, शतावरी, पुलोमजा।
इनकार – अस्वीकृति, निषेध, मनाही, प्रत्याख्यान।
इच्छुक – अभिलाषी, लालायित, उत्कण्ठित, आतुर
इशारा – संकेत, इंगित, निर्देश।
इन्द्रधनुष – सुरचाप, इन्द्रधनु, शक्रचाप, सप्तवर्णधनु।
( ई )
ईख – गन्ना, ऊख, रसडंड, रसाल, पेंड़ी, रसद।
ईमानदार – सच्चा, निष्कपट, सत्यनिष्ठ, सत्यपरायण।
ईश्वर – परमात्मा, परमेश्वर, ईश, ओम, ब्रह्म, अलख, अनादि, अज, अगोचर, जगदीश।
ईर्ष्या – मत्सर, डाह, जलन, कुढ़न, द्वेष, स्पर्धा।
( उ )
उपवन : बाग़, बगीचा, गुलशन ,उद्यान, वाटिका,
उक्ति : कथन, वचन, सूक्ति
उग्र : प्रचण्ड, तीव्र, विकट ,उत्कट, तेज, महादेव,
उचित : ठीक, मुनासिब, वाज़िब, समुचित, न्यायसंगत, तर्कसंगत, योग्य ,युक्तिसंगत,
उच्छृंखल : उद्दंड, निरकुंश, स्वेच्छाचारी , मनमर्जी, अक्खड़, आवारा, अंडबंड,
उजड्ड : उद्दंड, निरकुंश ,गँवार, जंगली, देहाती,अशिष्ट, असभ्य,
उजला : उज्ज्वल, श्वेत, सफ़ेद, धवल
उजाड : जंगल, बियावान, वन
उजाला : प्रकाश, रोशनी, चाँदनी
उत्कष : समृद्धि, प्रगति, प्रशंसा, उठान ,उन्नति, बढ़ती,
उत्कृष्ट : उत्तम, उन्नत, बढ़िया, उम्दा ,श्रेष्ठ, अच्छा,
उत्कोच : घूस, रिश्वत
उत्पति : उद्गम, पैदाइश, आविर्भाव, उदय ,जन्म, उद्भव, सृष्टि,
उत्कर्ष – उन्नति, उत्थान, अभ्युदय, उन्मेष।
उत्पात – दंगा, उपद्रव, फ़साद, हुड़दंग, गड़बड़, उधम।
उत्सव – समारोह, आयोजन, पर्व, त्योहार, मंगलकार्य, जलसा।
उत्साह – जोश, उमंग, हौसला, उत्तेजना।
उत्सुक – आतुर, उत्कण्ठित, व्यग्र, उत्कर्ण, रुचि, रुझान।
उदार – उदात्त, सहृदय, महामना, महाशय, दरियादिल।
उदाहरण – मिसाल, नमूना, दृष्टान्त, निदर्शन, उद्धरण।
उद्देश्य – प्रयोजन, ध्येय, लक्ष्य, निमित्त, मकसद, हेतु।
उद्यत – तैयार, प्रस्तुत, तत्पर।
उन्मूलन – निरसन, अन्त, उत्सादन।
उपकार – (1) परोपकार, अच्छाई, भलाई, नेकी। (ii) हित, उद्धार, कल्याण
उपस्थित – विद्यमान, हाज़िर, प्रस्तुत।
उत्कृष्ट – उत्तम, श्रेष्ठ, प्रकृष्ट, प्रवर।
उपमा – तुलना, मिलान, सादृश्य, समानता।
उपासना – पूजा, आराधना, अर्चना, सेवा।।
( ऊ )
ऊँचा – उच्च, शीर्षस्थ, उन्नत, उत्तुंग।
ऊर्जा – ओज, स्फूर्ति, शक्ति।
ऊसर – अनुर्वर, सस्यहीन, अनुपजाऊ, बंजर, रेत, रेह।
ऊष्मा – उष्णता, तपन, ताप, गर्मी।
ऊँट – लम्बोष्ठ, महाग्रीव, क्रमेलक, उष्ट्र।
ऊँघ – तंद्रा, ऊँचाई, झपकी, अर्द्धनिद्रा, अलसाई।
(ऋ)
ऋषि – मुनि, मनीषी, महात्मा, साधु, सन्त, संन्यासी, मन्त्रदृष्टा।
ऋद्धि – बढ़ती, बढ़ोतरी, वृद्धि, सम्पन्नता, समृद्धि।
( ए )
ऐक्य : एकत्व, एका, एकता, मेल
ऐश्वर्य : समृद्धि, विभूति
एकता – एका, सहमति, एकत्व, मेल –जोल, समानता, एकरूपता, एकसूत्रता, ऐक्य, अभिन्नता।
एहसान – आभार, कृतज्ञता, अनुग्रह।
एकांत – सुनसान, शून्य, सूना, निर्जन, विजन।
एकाएक – अकस्मात, अचानक, सहसा, एकदम।
( ओ )
ओज – दम, ज़ोर, पराक्रम, बल, शक्ति, ताकत।
ओझल – अन्तर्ध्यान, तिरोहित, अदृश्य, लुप्त, गायब।
ओस – तुषार, हिमकण, हिमसीकर, हिमबिन्दु, तुहिनकण।
ओंठ – होंठ, अधर, ओष्ठ, दन्तच्छद, रदनच्छद, लब।
( औ )
और – (i) अन्य, दूसरा, इतर, भिन्न (ii) अधिक, ज़्यादा (ii) एवं, तथा।
औषधि – दवा, दवाई, भेषज, औषध
Paryayvachi Shabd ( पर्यायवाची शब्द ) ( क )
कच : बाल, केश, कुन्तल, चिकुर, अलक, रोम, शिरोरूह
कल्पवृक्ष : कल्पद्रुम , देवद्रुम , मंदार , हरिचंदन , पारिजात।
कमल : नलिन, अरविन्द, उत्पल, राजीव, पद्म, पंकज, नीरज, सरोज, जलज, जलजात, शतदल, पुण्डरीक, इन्दीवर
कमला : इंदिरा , पद्यमा , भार्गवी , रामा , लक्ष्मी , समुद्रजा , सिंधुजा , हरिप्रिया ,पद्यालया , पद्मासना , लोकमाता , विष्णुप्रिया , श्री ।
कबूतर : कपोत, रक्तलोचन, पारावत, कलरव, हारिल
काग : कौवा , काक , करठ , पिशुन , वायस।
कामदेव : मदन, मनोज, अनंग, काम, रतिपति, पुष्पधन्वा, मन्मथ
कार्तिकेय : षडानन , स्कंद , शरभव , कुमार
कण्ठ : ग्रीवा, गर्दन, गला, शिरोधरा
कृपा : प्रसाद, करुणा, दया, अनुग्रह
किताब : पोथी, ग्रन्थ, पुस्तक
किनारा : तीर, कूल, कगार, तट
कपड़ा : चीर, वसन, पट, अंशु, कर, मयुख, वस्त्र, अम्बर, परिधान
किरण : ज्योति, प्रभा, रश्मि, दीप्ति, मरीचि
कुबेर : यक्षराज , धनपति , किन्नरेश , राजराज , अनद , धनाधिप
कुत्ता : श्वान , कुक्कुर , शुनक , सारमेव , श्वा
किसान : कृषक, भूमिपुत्र, हलधर, खेतिहर, अन्नदाता
कृष्ण : राधापति, घनश्याम, वासुदेव, माधव, मोहन, केशव, गोविन्द, गिरधारी
कान : कर्ण, श्रुति, श्रुतिपटल, श्रवण, श्रोत, श्रुतिपुट
कोयल : कोकिला, पिक, काकपाली, बसंतदूत, सारिका, कुहुकिनी, वनप्रिया
क्रोध : रोष, कोप, अमर्ष, कोह, प्रतिघात
कीर्ति : यश, प्रसिद्धि
कपड़ा – चीर, वस्त्र, वसन, अम्बर, पट, पोशाक चैल, दुकूल।
कमल – सरोज, सरोरुह, जलज, पंकज, नीरज, वारिज, अम्बुज, अम्बोज, अब्ज, सतदल, अरविन्द, कुवलय, अम्भोरुह, राजीव, नलिन, पद्म, तामरस, पुण्डरीक, सरसिज, कंज।
कर्ण – अंगराज, सूर्यसुत, अर्कनन्दन, राधेय, सूतपुत्र, रविसुत, आदित्यनन्दन।
कली – मुकुल, जालक, ताम्रपल्लव, कलिका, कुडमल, कोरक, नवपल्लव, अँखुवा, कोंपल, गुंचा।
कुटिल – छली, कपटी, धोखेबाज़, चालबाज़।
काक – काग, काण, वायस, पिशुन, करठ, कौआ।
कुत्ता – कुक्कर, श्वान, शुनक, कूकुर।
कबूतर – कपोत, रक्तलोचन, हारीत, पारावत।
कृत्रिम – अवास्तविक, नकली, झूठा, दिखावटी, बनावटी।
कल्याण – मंगल, योगक्षेम, शुभ, हित, भलाई, उपकार।
कूल – किनारा, तट, तीर।
( ख )
खग : पक्षी, द्विज,अण्डज, शकुनि, पखेरू , विहग, नभचर,
खंभा : स्तूप, स्तम्भ, खंभ
खल : दुर्जन, दुष्ट, घूर्त, कुटिल
खून : रक्त, लहू, शोणित, रुधिर
खंजन – नीलकण्ठ, सारंग, कलकण्ठ।
खंड – अंश, भाग, हिस्सा, टुकड़ा।
खल – शठ, दुष्ट, धूर्त, दुर्जन, कुटिल, नालायक, अधम।
खूबसूरत – सुन्दर, सुरम्य, मनोज्ञ, रूपवान, सौरम्य, रमणीक।
( ग )
गज : मदकल , मतंग, हाथी, हस्ती, कूम्भा,
गाय : गौ, धेनु, सुरभि, भद्रा, रोहिणी
गंगा : ध्रुवनंदा, सुरसरिता, देवनदी, मंदाकिनी,भगीरथी, विश्नुपगा, देवपगा,देवनदी, जाह्नवी,त्रिपथगा ,
गणेश : गणपति, गणनायक, शंकरसुवन, लम्बोदर, महाकाय, विनायक, गजानन, गौरीनंदन, एकदन्त
गरुड़ : खगपति , सुपर्ण , खगेश , उरगारि , वातनेय ,विषमुख।
गदहा : गदर्भ , खर , बैशाखनंदन , रासभ , धूसर , चक्रीवान ,।
गृह : धाम, निकेतन, मंदिर ,निवास, आलय, घर, सदन, गेह, भवन, आवास, निलय,
गर्मी : ताप, ग्रीष्म, ऊष्मा, गरमी, निदाघ
गुरु : शिक्षक, आचार्य, उपाध्याय
गरुड़ – खगेश्वर, सुपर्ण, वैतनेय, नागान्तका
गौरव – मान, सम्मान, महत्त्व, बड़प्पन।
गम्भीर – गहरा, अथाह, अतला
गाँव – ग्राम, मौजा, पुरवा, बस्ती, देहात।
गृह – घर, सदन, भवन, धाम, निकेतन, आलय, मकान, गेह, शाला।
गुफा – गुहा, कन्दरा, विवर, गह्वर।
गीदड़ – शृगाल, सियार, जम्बुका
गुप्त – निभृत, अप्रकट, गूढ, अज्ञात, परोक्ष।
गति – हाल, दशा, अवस्था, स्थिति, चाल, रफ़्तार।
गंगा – भागीरथी, देवसरिता, मंदाकिनी, विष्णुपदी, त्रिपथगा, देवापगा, जाहनवी, देवनदी, ध्रुवनन्दा, सुरसरि, पापछालिका।
गणेश – लम्बोदर, मूषकवाहन, भवानीनन्दन, विनायक, गजानन, मोदकप्रिय, जगवन्द्य, हेरम्ब, एकदन्त, गजवदन, विघ्ननाशका
( घ )
घट : घड़ा, कलश, कुम्भ, निप
घर : आलय, आवास, निलय, वास-स्थान, शाला, सदन , निवास, भवन, वास, गेह, गृह, निकेतन,
घृत : घी, अमृत, नवनीत
घास : तृण, कुश, शाद ,दूर्वा, दूब,
घड़ा – कलश, घट, कुम्भ, गागर, निप, गगरी, कुट।
घी – घृत, हवि, अमृतसार।
घाटा – हानि, नुकसान, टोटा।
घन – जलधर, वारिद, अंबुधर, बादल, मेघ, अम्बुद, पयोद, नीरद।।
घृणा – जुगुप्सा, अरुचि, घिन, बीभत्स।
घुमक्कड़ – रमता, सैलानी, पर्यटक, घुमन्तू, विचरण शील, यायावर।
घिनौना – घृण्य, घृणास्पद, बीभत्स, गंदा, घृणित।
घुमंतू – बंजारा, घुमक्कड़
(च)
चरण : पद, पग, पाँव, पैर, पाद
चतुर : विज्ञ, निपुण, नागर, पटु, कुशल, दक्ष, प्रवीण, योग्य
चंद्रमा : चाँद, हिमांशु, इंदु, विधु, तारापति, चन्द्र, शशि, हिमकर, राकेश, रजनीश, निशानाथ, सोम,मयंक, सारंग, सुधाकर, कलानिधि
चाँदनी : जुन्हाई ,चन्द्रमरीचि, उजियारी, कौमुदी, ज्योत्स्ना, चन्द्रिका, चन्द्रप्रभा,
चाँदी : रजत, सौध, रूपा, रूपक, रौप्य, चन्द्रहास
चोटी : मूर्धा, शीश, सानु, शृंग
चोर : दस्यु , खनक , साहसिक , रजनीचर , मोषक।
चंदन – मंगल्य, मलयज, श्रीखण्ड।
चाँदी – रजत, रूपा, रौप्य, रूपक
चरित्र – आचार, सदाचार, शील, आचरण।
चिन्ता – फ़िक्र, सोच, ऊहापोह।
चौकीदार – आरक्षी, पहरेदार, प्रहरी, गारद, गश्तकार।
चोटी – शृंग, तुंग, शिखर, परकोटि।
चक्र – पहिया, चाक, चक्का।
चिकित्सा – उपचार, इलाज, दवादारू।
( छ )
छतरी : छत्र, छाता, छत्ता
छली : छलिया, कपटी, धोखेबाज
छवि : शोभा, सौंदर्य, कान्ति, प्रभा
छानबीन : जाँच, पूछताछ, खोज, अन्वेषण, शोध, गवेषण
छैला : सजीला, बाँका, शौकीन
छोर : नोक, कोर, किनारा, सिरा
छात्र – विद्यार्थी, शिक्षार्थी, शिष्य।
छाया – साया, प्रतिबिम्ब, परछाई, छाँव।
छल – प्रपंच, झाँसा, फ़रेब, कपट।
छटा – आभा, कांति, चमक, सौन्दर्य, सुन्दरता।
छानबीन – जाँच –पड़ताल, पूछताछ, जाँच, तहकीकात।
छेद – छिद्र, सूराख, रंध्रा
( ज )
जल : अमृत, सलिल, वारि, नीर, तोय, अम्बु, उदक, पानी, जीवन, पय, पेय
जगत : संसार, विश्व, जग, जगती, भव, दुनिया, लोक, भुवन
जीभ : रसना, रसज्ञा, जिह्वा, रसिका, वाणी, वाचा, जबान
जंगल : विपिन, कानन, वन, अरण्य, गहन, कांतार, बीहड़, विटप
जहाज : जलयान , पोत
जेवर : गहना, अलंकार, भूषण, आभरण, मंडल
ज्योति : आभा, छवि, द्युति, दीप्ति, प्रभा, भा, रुचि, रोचि
जानकी : वैदेही , सीता , जनकसुता , जनकतनया , जनकात्मजा
जननी – माँ, माता, माई. मइया. अम्बा, अम्मा।
जीव – प्राणी, देहधारी, जीवधारी।
जिज्ञासा – उत्सुकता, उत्कंठा, कुतूहल।
जंग – युद्ध, रण, समर, लड़ाई, संग्राम।
जग – दुनिया, संसार, विश्व, भुवन, मृत्युलोक।
( झ )
झूठ : असत्य, मिथ्या, मृषा, अनृत
झरना : प्रपात , निर्झर , स्रोत , प्रस्रवण उत्स।
झंडा : केतु , पताका , ध्वज ,
झुकाव – रुझान, प्रवृत्ति, प्रवणता, उन्मुखता।
झकोर – हवा का झोंका, झटका, झोंक, बयार।
(ट)
टक्कर : मुठभेड़, मुकाबला , लड़ाई।
टहलुआ : सेवक, नौकर, खिदमतगार
टाँग : पाँव, पैर, टंक
टीका : तिलक, चिह्न, दाग, धब्बा
टोना : टोटका, लटका ,जादू, यंत्रमंत्र।
ठंढ : ठंड, शीत, सरदी
ठग : छली, धूर्त, धोखेबाज
ठाँव : स्थान, जगह, ठिकाना
ठिंगना : बौना, वामन, नाटा
ठीक : उचित, मुनासिब , उपयुक्त,
ठेठ : निपट, निरा, बिल्कुल
(ठ)
ठंड – शीत, ठिठुरन, सर्दी, जाड़ा, ठंडक
ठेस – आघात, चोट, ठोकर, धक्का।
ठौर – ठिकाना, स्थल, जगह।
ठग – जालसाज, प्रवंचक, वंचक, प्रतारक।
ठाठ –आडम्बर, सजावट, वैभवा
ठिठोली – मज़ाक, उपहास, फ़बती, व्यंग्य, व्यंग्योक्ति।
ठगी – प्रतारणा, वंचना, मायाजाल, फ़रेब, जालसाज़।
( ड )
डंडा : छड़ी, लाठी , सोंटा,
डाली : भेंट, उपहार
ढब : ढंग, ढर्रा ,रीति, तरीका,
ढाँचा : पंजर, ठठरी
ढील : शिथिलता, अतत्परता ,सुस्ती,
ढूँढ : तलाश, छानबीन ,खोज,
ढोर : चौपाया, मवेशी
डगर – बाट, मार्ग; राह, रास्ता, पथ, पंथा
डर – त्रास, भीति, दहशत, आतंक, भय, खौफ़
डेरा – पड़ाव, खेमा, शिविर
डोर – डोरी, रज्जु, तांत, रस्सी, पगहा, तन्तु।
डकैत – डाकू, लुटेरा, बटमार।
डायरी – दैनिकी, दैनन्दिनी, रोज़नामचा।
(ढ)
ढीठ – धृष्ट, प्रगल्भ, अविनीत, गुस्ताख।
ढोंग – स्वाँग, पाखण्ड, कपट, छल।
ढंग – पद्धति, विधि, तरीका, रीति, प्रणाली, करीना।
ढाढ़स – आश्वासन, तसल्ली, दिलासा, धीरज, सांत्वना।
ढोंगी – पाखण्डी, बगुला भगत, रंगासियार, कपटी, छली।
(त)
तरुवर : वृक्ष, पेड़, द्रुम, तरु, विटप, रूंख, पादप
तलवार : असि, कृपाण, करवाल, खड्ग, चन्द्रहास
तरकस : तूणीर , निषंग , इषुधी , तूण।
तालाब : सरोवर, जलाशय, सर, पुष्कर, पोखरा, जलवान, सरसी, तड़ाग
तामरस : पंकज , कमल , नीरज , सरसिज , इंदवर।
तिमिर : अन्धकार , तम , अँधेरा , ताम्रिसा।
तीर : शर, बाण, विशिख, शिलीमुख, अनी, सायक
तोता : सुग्गा , शुक्र , कीर , रक्ततुण्ड , सुआ
तन – शरीर, काया, जिस्म, देह, वपु।
तपस्या – साधना, तप, योग, अनुष्ठान।
तरंग – हिलोर, लहर, ऊर्मि, मौज, वीचि।
तरु – वृक्ष, पेड़, विटप, पादप, द्रुम, दरख्त।
तलवार – असि, खडग, सिरोही, चन्द्रहास, कृपाण, शमशीर, करवाल, करौली, तेग।
तम – अंधकार, ध्वान्त, तिमिर, अँधेरा, तमसा।
तरुणी – युवती, मनोज्ञा, सुंदरी, यौवनवक्षी, प्रमदा, रमणी।
तारा – नखत, उड्डगण, नक्षत्र, तारका
तम्बू – डेरा, खेमा, शिविर।
तस्वीर – चित्र, फोटो, प्रतिबिम्ब, प्रतिकृति, आकृति।
तालाब – जलाशय, सरोवर, ताल, सर, तड़ाग, जलधर, सरसी, पद्माकर, पुष्कर
तारीफ़ – बड़ाई, प्रशंसा, सराहना, प्रशस्ति, गुणगाना
तीर – नाराच, बाण, शिलीमुख, शर, सायक।
तोता – सुवा, शुक, दाडिमप्रिय, कीर, सुग्गा, रक्ततुंड।
तत्पर – तैयार, कटिबद्ध, उद्यत, सन्नद्ध।
तन्मय – मग्न, तल्लीन, लीन, ध्यानमग्न।
तालमेल – समन्वय, संगति, सामंजस्य।
तरकारी – शाक, सब्जी, भाजी।
तूफान – झंझावात, अंधड़, आँधी, प्रभंजना
( थ )
थोड़ा : जरा, कम , अल्प, न्यून,
थाती : जमापूँजी, अमानत ,धरोहर।
थाक : ढेर, समूह
थप्पड़ : तमाचा, झापड़
थंभ : खंभ, स्तम्भ , खंभा,
थाह – अन्त, छोर, सिरा, सीना।
थोथा – पोला, खाली, खोखला, रिक्त, छूछा।
थल – धरती, ज़मीन, पृथ्वी, भूतल, भूमि।
( द )
दया : कृपा , अनुकम्पा , अनुग्रह , सहानुभूति।
दास : सेवक, नौकर, चाकर, परिचारक, अनुचर, भृत्य, किंकर
दधि : दही, गोरस, मट्ठा, तक्र
दरिद्र : निर्धन, ग़रीब, रंक, कंगाल, दीन
दिन : दिवस, याम, दिवा, वार, प्रमान, वासर, अह्न
दीन : ग़रीब, दरिद्र, रंक, अकिंचन, निर्धन, कंगाल
दीपक : दीप, दीया, प्रदीप
दुःख : पीड़ा, खेद, पीर, लेश , संताप, शोक,, वेदना, कष्ट, व्यथा,
दूध : दुग्ध, पय, गौरस, स्तन्य , क्षीर,
दुष्ट : पापी, नीच, अधम, खल, पामर , दुर्जन,
दाँत : दशन, द्विज, दन्त, मुखखुर , रदन, रद,
दर्पण : शीशा, आरसी, आईना, मुकुर
दुर्गा : चंडिका, चण्डी, चामुण्डा , भवानी, कुमारी, कालिका, शिवा, कल्याणी, महागौरी,
देवता : सुर, देव, अमर, वसु, आदित्य, लेख, अजर, विबुध
देह : काया, तन, शरीर, वपु, गात
द्रव्य : धन , दौलत , सम्पति , सम्पदा।
दर्पण – शीशा, आइना, मुकुर, आरसी।
दास – चाकर, नौकर, सेवक, परिचारक, परिचर, किंकर, गुलाम, अनुचर।
दुःख – क्लेश, खेद, पीड़ा, यातना, विषाद, यन्त्रणा, क्षोभ, कष्ट
दूध – पय, दुग्ध, स्तन्य, क्षीर, अमृत।
देवता – सुर, आदित्य, अमर, देव, वसु।
दोस्त – सखा, मित्र, स्नेही, अन्तरंग, हितैषी, सहचर।
द्रोपदी – श्यामा, पाँचाली, कृष्णा, सैरन्ध्री, याज्ञसेनी, द्रुपदसुता, नित्ययौवना।
दासी – बाँदी, सेविका, किंकरी, परिचारिका।
दीपक – आदित्य, दीप, प्रदीप, दीया।
दुर्गा – सिंहवाहिनी, कालिका, अजा, भवानी, चण्डिका, कल्याणी, सुभद्रा, चामुण्डा।
दिव्य – अलौकिक, स्वर्गिक, लोकातीत, लोकोत्तर।
दीपावली – दीवाली, दीपमाला, दीपोत्सव, दीपमालिका।
( ध )
धन : दौलत, संपत्ति, सम्पदा, वित्त
धरती : धरा, वसुंधरा, अचला, मही, रत्नवती, धरती, वसुधा, ज़मीन, रत्नगर्भा ,पृथ्वी, भू, भूमि, धरणी,
धनुष : चाप्, शरासन,धनु , कमान, कोदंड,
धीरज – धीरता, धीरत्व, धैर्य, धारण, धृति।
धरती – धरा, धरणी, पृथ्वी, क्षिति, वसुधा, अवनी, मेदिनी।
धवल – श्वेत, सफ़ेद, उजला।
धुंध – कुहरा, नीहार, कुहासा।
ध्वस्त – नष्ट, भ्रष्ट, भग्न, खण्डित।
धूल – रज, खेहट, मिट्टी, गर्द, धूलिा
धंधा – दृढ़, अटल, स्थिर, निश्चित।
धनुर्धर – रोज़गार, व्यापार, कारोबार, व्यवसाय
धाक – धन्वी, तीरंदाज़, धनुषधारी, निषंगी।
धक्का – रोब, दबदबा, धौंस। टक्कर, रेला, झोंका।
( न )
नयन : नेत्र , लोचन , चक्छु ,आँख
नदी : सरिता, तटिनी, सरि, सारंग, जयमाला, तरंगिणी, दरिया, निर्झरिणी
नर्क : नरक , यमपुर , यमलोक , यमालय
नर : मानव , पुरुष , जन , मनुज
नया : नूतन, नव, नवीन, नव्य
नाव : नौका, तरणी, तरी
निंदा : बुराई , दोषारोपण , भर्त्स्ना , आरोप
नमक – लवण, लोन, रामरस, नोन।
नया – ‘नवीन, नव्य, नूतन, आधुनिक, अभिनव, अर्वाचीन, नव, ताज़ा।
नाश – (i) समाप्ति, अवसान (i) विनाश, संहार, ध्वंस, नष्ट –भ्रष्ट।
नित्य – हमेशा, रोज़, सनातन, सर्वदा, सदा, सदैव, चिरंतन, शाश्वत।
नियम – विधि, तरीका, विधान, ढंग, कानून, रीति।
नीलकमल – इंदीवर, नीलाम्बुज, नीलसरोज, उत्पल, असितकमल, कुवलय, सौगन्धित।
नौका – तरिणी, डोंगी, नाव, जलयान, नैया, तरी।
नारी – स्त्री, महिला, रमणी, वनिता, वामा, अबला, औरत।
निन्दा – अपयश, बदनामी, बुराई, बदगोई।
नैसर्गिक – प्राकृतिक, स्वाभाविक, वास्तविक
नरेश – नरेन्द्र, राजा, नरपति, भूपति, भूपाल
निष्पक्ष – उदासीन, अलग, निरपेक्ष, तटस्थ।
नियति – भाग्य, प्रारब्ध, विधि, भावी, दैव्य, होनी।
नक्षत्र – तारा, सितारा, खद्योत, तारक
नाग – सर्प, विषधर, भुजंग, व्याल, फणी, फणधर, उरग।
नग – भूधर, पहाड़, पर्वत, शैल, गिरि।
नरक – यमपुर, यमलोक, जहन्नुम, दौजख।
निधि – कोष, खज़ाना, भण्डार।
नग्न – नंगा, दिगम्बर, निर्वस्त्र, अनावृत।
नीरस – रसहीन, फीका, सूखा, स्वादहीन।
(प)
पवन : वायु, हवा, समीर, वात, मारुत, अनिल, पवमान, समीरण, स्पर्शन
पथ : राह , पंथ , रास्ता , मार्ग
पहाड़ : पर्वत, गिरि, अचल, शैल, धरणीधर, धराधर, नग, भूधर, महीधर
पक्षी : खेचर, दविज, पतंग, पंछी, खग, चिडिया, गगनचर, पखेरू, विहंग, नभचर
पति : स्वामी, प्राणाधार, प्राणप्रिय, प्राणेश, आर्यपुत्र
पत्नी : गृहणी, दारा, वामा, अर्धांगिनी, बहु, वनिता, सहधर्मिणी, जोरू, वामांगिनी ,भार्या, वधू,
पुत्र : बेटा, आत्मज, नंदन ,सुत, वत्स, तनुज, तनय,
पुत्री : बेटी,सुता, तनया , आत्मजा, तनूजा,
पुष्प :प्रसून, पुहुप , कुसुम, मंजरी, फूल, सुमन,
पिता : बाप , जनक , तात
पत्थर : पाषाण , पाहन , उपल
पानी : जल , नीर , वारि , सलिल , सारंग
पार्वती : शैलपुत्री , आर्या , भवानी ,गौरी ,गिरिजा
पृथ्वी : भूमि , धरती , धरा , वसुंधरा , अवनी , वसुधा , भू , उर्वी
पंडित : विद्वान , मनीष , विलक्षण
पुष्प : सुमन , कुसुम , फूल , प्रसून
पेड़ : वृक्ष , द्रुम , पादप तरु , रुकक्ष ,
पैर : चरण , पाव , पाद , पग , पद
पुरुष : आदमी , मनुष्य , मानव , नर
प्रकाश : चमक , ज्योति , छवि , ज्योति , प्रभा
( फ )
फणी – सर्प, साँप, फणधर, नाग, उरग।
फ़ौरन – तत्काल, तत्क्षण, तुरन्ता
फूल – सुमन, कुसुम, गुल, प्रसून, पुष्प, पुहुप, मंजरी, लतांता
फौज़ – सेना, लश्कर, पल्टन, वाहिनी, सैन्य।
फणीन्द्र – शेषनाग, वासुकी, उरगाधिपति, सर्पराज, नागराज।
( ब )
बादल : मेघ, घन, जलधर, जलद, वारिद, नीरद, सारंग, पयोद, पयोधर
बालू : रेत, बालुका, सैकत
बन्दर : वानर, कपि, कपीश, हरि
बिजली : घनप्रिया, ताडित, विद्युत ,चंचला, सौदामनी, इन्द्र्वज्र, चपला, दामिनी,
बगीचा : बाग़, वाटिका, उपवन, उद्यान, फुलवारी, बगिया
बाण : सर, तीर, सायक, विशिख, शिलीमुख, नाराच
बाल : कच, केश, चिकुर, चूल
ब्रह्मा : विधि, विधाता, कर्तार, कमलासन, प्रजापति, पितामह, चतुरानन, नाभिजन्म, हिरण्यगर्भ ,स्वयंभू, विरंचि, अज,
बलदेव : बलराम, बलभद्र, हलायुध, राम, मूसली, रोहिणेय, संकर्षण
बहुत : अतीव, अति, अपार, अनेक,अपरिमित, प्रभूत, अमित, अत्यन्त, असंख्य ,बहुल, प्रचुर,
ब्राह्मण : द्विज, भूदेव, विप्र, महीदेव, भूमिसुर, भूमिदेव
बलराम – हलधर, बलवीर, रेवतीरमण, बलभद्र, हली, श्यामबन्धु।
बाग – उपवन, वाटिका, उद्यान, निकुंज, फुलवाड़ी, बगीचा।
बन्दर – कपि, वानर, मर्कट, शाखामृग, कीश।
बट्टा – घाटा, हानि, टोटा, नुकसान।
बलिदान – कुर्बानी, आत्मोत्सर्ग, जीवनदान।
बंजर – ऊसर, परती, अनुपजाऊ, अनुर्वर।
बिछोह – वियोग, जुदाई, बिछोड़ा, विप्रलंभ।
बियावान – निर्जन, सूनसान, वीरान, उजाड़।
बंक – टेढ़ा, तिर्यक्, तिरछा, वक्र
बहुत – ज़्यादा, प्रचुर, प्रभूत, विपुल, इफ़रात, अधिक।
बुद्धि – प्रज्ञा, मेधा, ज़ेहन, समझ, अकल, गति।
ब्रह्मा – विधि, चतुरानन, कमलासन, विधाता, विरंचि, पितामह, अज, प्रजापति, स्वयंभू।
( भ )
भय : भीति, डर, विभीषिका
भाई : तात, अनुज, अग्रज, भ्राता, भ्रातृ
भूषण : जेवर, गहना, आभूषण, अलंकार
भौंरा : मधुप, मधुकर, द्विरेप, अलि, षट्पद, भृंग, भ्रमर
भगवान – परमेश्वर, परमात्मा, सर्वेश्वर, प्रभु, ईश्वर।
भगिनी – दीदी, जीजी, बहिन
भारती – सरस्वती, ब्राह्मी, विद्या देवी, शारदा, वीणावादिनी।
भाल – ललाट, मस्तक, माथा, कपाल।
भरोसा – सहारा, अवलम्ब, आश्रय, प्रश्रय।
भास्कर – चमकीला, आभामय, दीप्तिमान, प्रकाशवान।
भुगतान – भरपाई, अदायगी, बेबाकी।
भोला – सीधा, सरल, निष्कपट, निश्छल।
भूखा – बुभुक्षित, क्षुधातुर, क्षुधालु, क्षुधात।
भँवरा – भ्रमर, ग, मधुकर, मधुप, अलि, द्विरेफ।
भाई – अग्रज, अनुज, सहोदर, तात, भइया, बन्धु।
भाँड – विदूषक, मसखरा, जोकर।
भिक्षुक – भिखमंगा, भिखारी, याचक
( म )
मनुष्य : आदमी, नर, मानव, मानुष, मनुज
मदिरा : शराब, हाला, आसव, मधु, मद
मोर : केक, कलापी, नीलकंठ, नर्तकप्रिय
मधु : शहद, रसा, कुसुमासव
मृग : हिरण, सारंग, कृष्णसार
मछली : मीन, मत्स्य, जलजीवन, शफरी, मकर
माता : जननी, माँ, अंबा, जनयत्री, अम्मा
मित्र : सखा, सहचर, साथी, दोस्त
मेघ : बादल , घन , वारिद , नीरज , पयोद , जलधर , अम्बुद , पयोधर , वारीधर
मुनि : साधु , महात्मा , सन्यासी , वैरागी , भिक्षु , संत
मुर्गा : तमचूक , अरुणशिखा , कुक्कुट , ताम्रचूड
मोक्ष : निर्माण , अपवर्ग , परमधाम , परमपद , सद्गति
मृत्यु : स्वर्गवास , निधन , मरण , देहावसान , देहांत , मौत
मीत : सखा , मित्र , सहचर
मुढ : अज्ञानी , गवार , जड़ , मूर्ख
मैना : त्रिलोचना , मधुरालासा , कलहप्रिया , सारी , सारिका
मूंगा : रक्तांग , विद्रुम , रक्तमणि , प्रवाल
मछली – मीन, मत्स्य, सफरी, झष, जलजीवन।
मज़ाक – दिल्लगी, उपहास, हँसी, मखौल, मसखरी, व्यंग्य, छींटाकशी।
मदिरा – शराब, हाला, आसव, मद्य, सुरा।
महादेव – शंकर, शंभू, शिव, पशुपति, चन्द्रशेखर, महेश्वर, भूतेश, आशुतोष, गिरीश
मक्खन – नवनीत, दधिसार, माखन, लौनी।
मंगनी – वाग्दान, फलदान, सगाई।
मनीषी – पण्डित, विचारक, ज्ञानी, विद्वान्।
मुँह – मुख, आनन, बदन।
मित्र – सखा, दोस्त, सहचर, सुहृद।
माँ – मातु, माता, मातृ, मातरि, मैया, महतारी, अम्ब, जननी, जनयित्री, जन्मदात्री।
( य )
यम – सूर्यपुत्र, धर्मराज, श्राद्धदेव, कीनाश, शमन, दण्डधर, यमुनाभ्राता।
यत्न – प्रयत्न, चेष्टा, उद्यम
यामिनी – निशा, रजनी, राका, विभावरी।
योग्य – कुशल, सक्षम, कार्यक्षम, काबिला
यात्रा – भ्रमण, देशाटन, पर्यटन, सफ़र, घूमना।
याद – सुधि, स्मृति, ख्याल, स्मरण।
यंत्र – औज़ार, कल, मशीन।
यती – संन्यासी, वीतरागी, वैरागी।
युद्ध – रण, जंग, समर, लड़ाई, संग्राम।
याचिका – आवेदन –पत्र, अभ्यर्थना, प्रार्थना पत्र।
यमुना : कालिन्दी, सूर्यसुता, रवितनया, तरणि-तनूजा, तरणिजा, अर्कजा, भानुजा
युवति : युवती, सुन्दरी, श्यामा, किशोरी, तरुणी, नवयौवना
( र )
रमा : इन्दिरा, हरिप्रिया, श्री, लक्ष्मी, कमला, पद्मा, पद्मासना, समुद्रजा, श्रीभार्गवी, क्षीरोदतनया
रात : रात्रि, रैन, रजनी, निशा, यामिनी, तमी, निशि, यामा, विभावरी
राजा : नृप, नृपति, भूपति, नरपति, नृप, भूप, भूपाल, नरेश, महीपति, अवनीपति
रात्रि : निशा, क्षया, रैन, रात, यामिनी, शर्वरी, तमस्विनी, विभावरी
रामचन्द्र : रावणारि, जानकीवल्लभ, रघुपति, रघुवर, रघुनाथ, रघुराज,अवधेश, सीतापति, कमलेन्द्र, कौशल्यानन्दन ,राघव, रघुवीर,
रावण : व्लंकेश, दशानन, लंकापति, दैत्येन्द्र ,दशशीश, दशकंध,
राधिका : राधा, वृषभानुजा ,ब्रजरानी, हरिप्रिया,
रक्त : खून , शोणित , लोहित , रुधिर , लहू
रक्त – खून, लहू, रुधिर, शोणित, लोहित, रोहित।
राधा – ब्रजरानी, हरिप्रिया, राधिका, वृषभानुजा।
रानी – राज्ञी, महिषी, राजपत्नी।
रावण – लंकेश, दशानन, दशकंठ, दशकंधर, लंकाधिपति, दैत्येन्द्र।
राज्यपाल – प्रान्तपति, सूबेदार, गवर्नर।
राय – मत, सलाह, सम्मति, मंत्रणा, परामर्श
रूढ़ि – प्रथा, दस्तूर, रस्म।
रक्षा – बचाव, संरक्षण, हिफ़ाजत, देखरेख।
( ल )
लड़का : किशोर, कुमार ,बालक, शिशु, सुत,
लड़की : बालिका, बाला, कन्या , कुमारी, सुता, किशोरी,
लक्ष्मी : रमा, पद्मजा, सिन्धुसुता, हरिप्रिया,कमला, पद्मा, श्री, इंदिरा, कमलासना
लक्ष्मण : लखन, शेषावतार, शेष सौमित्र, रामानुज,
लौह : अयस, लोहा, सार
लता : बल्लरी, बल्ली, बेली
लक्ष्मण – अनंत, लखन, सौमित्र।
लग्न – संलग्न, सम्बद्ध, संयुक्ता
लज्जा – शर्म, हया, लाज, व्रीडा।
लहर – लहरी, हिलोर, तरंग, उर्मि।
लालसा – तृष्णा, अभिलाषा, लिप्सा, लालच।
लगातार – सतत, निरन्तर, अजस्र, अनवरत।
लता – बेल, वल्लरी, लतिका, प्रतान, वीरुध।
लघु – थोड़ा, न्यून, हल्का, छोटा।
लक्ष्मी – श्री, कमला, रमा, पद्मा, हरिप्रिया, क्षीरोद, इन्दिरा, समुद्रजा।
( व )
वायु : हवा, पवन, समीर, अनिल, वात, मारुत
वसन : अम्बर, वस्त्र, परिधान, पट, चीर
विधवा : अनाथा, पतिहीना, राँड़
विष : ज़हर, हलाहल, गरल, कालकूट
वृक्ष : पेड़, पादप, विटप,शाखी, विटप, द्रुम , तरू, गाछ, दरख्त,
विष्णु : नारायण, दामोदर, पीताम्बर, चक्रपाणी
विश्व : जगत, जग, भव, संसार, लोक, दुनिया
विद्युत : चपला, चंचला, दामिनी, सौदामिनी, तड़ित, बीजुरी, घनवल्ली, क्षणप्रभा, करका
वारिश : वर्षण, बरसात ,वृष्टि, वर्षा, पावस,
वीर्य : जीवन, शुक्र, बीज ,सार, तेज,
वज्र : कुलिस,दभोलि , पवि, अशनि,
विशाल : विराट, दीर्घ, महा, महान ,वृहत, बड़ा,
वर्षा – बरसात, मेह, बारिश, पावस, चौमास।
वक्ष – सीना, छाती, वक्षस्थल, उदरस्थला
वन – अरण्य, अटवी, कानन, विपिन।
वस्त्र – परिधान, पट, चीर, वसन, कपड़ा, पोशाक, अम्बर।
विकार – विकृति, दोष, बुराई, बिगाड़!
विष – गरल, माहुर, हलाहल, कालकूट, ज़हर।
विरुद – प्रशस्ति, कीर्ति, यशोगान, गुणगान।
विविध – नाना, प्रकीर्ण, विभिन्न।
विभोर – मस्त, मुग्ध, मग्न, लीना
विप्र – भूदेव, ब्राह्मण, महीसुर, पुरोहित, पण्डित।
विभा – प्रभा, आभा, कांति, शोभा।
विशारद – पण्डित, ज्ञानी, विशेषज्ञ, सुधी।
( श )
शिव : भोलेनाथ, शम्भू, नीलकंठ, शंकर ,त्रिलोचन, महादेव,
शरीर : देह, तनु, काया, कलेवर, अंग, गात
शत्रु : रिपु, दुश्मन, अमित्र, वैरी, अरि, विपक्षी, अराति
शिक्षक : गुरु, उपाध्याय , अध्यापक, आचार्य,
शेर : शार्दूल, वनराज, केहरि, सिंह, हरि, मृगराज ,केशरी,
शेषनाग : फणीश, सारंग ,व्याल, उरग, पन्नग, अहि, नाग, भुजंग,
शुभ्र : गौर, शुक्ल, अवदात ,श्वेत, अमल, वलक्ष,
शहद : पुष्परस, मकरन्द , मधु, आसव, रस,
शपथ – कसम, प्रतिज्ञा, सौगन्ध, हलफ़, सौं।
शहद – मधु, मकरंद, पुष्परस, पुष्पासव।
शब्द – ध्वनि, नाद, आश्व, घोष, रव, मुखर।
शरण – संश्रय, आश्रय, त्राण, रक्षा।
शिष्ट – शालीन, भद्र, संभ्रान्त, सौम्य, सज्जन, सभ्य।
शेर – सिंह, नाहर, केहरि, वनराज, केशरी, मृगेन्द, शार्दूल, व्याघ्र।
शिरा – नाड़ी, धमनी, नस।
शुभ – मंगल, कल्याणकारी, शुभंकर।
शिक्षा – नसीहत, सीख, तालीम, प्रशिक्षण, उपदेश, शिक्षण, ज्ञान।
(ष)
षंड : हीजड़ा, नामर्द ,नपुंसक,
षडानन : षाण्मातुर ,षटमुख, कार्तिकेय,
षड्यंत्र – साज़िश, दुरभिसंधि, अभिसंधि, कुचक्र
( स )
सलिल : नीरज , जलज , सलील , पानी , वारी
सगर्भा : भगिनी , सहोदर , सोदरा , सजाता
सगर्भ : भाई , सजाता , सहोदर , भ्राता , बंधु
सीता : जनकनन्दिनी, भूमिजा, जनकतनया, रामप्रिया ,वैदेही, जानकी,
साँप : अहि, भुजंग, ब्याल, सर्प, नाग, विषधर, उरग, पवनासन
सूर्य : रवि, भानु, प्रभाकर, आदित्य, दिनेश, भास्कर, दिनकर, सविता, हंस, अर्क, तरणि,पतंग, आदित्य, अंशुमाली, मार्तण्ड ,सूरज, दिनकर, दिवाकर,
सोना : स्वर्ण, कंचन, कनक, हेम, कुंदन
सिंह : केसरी, शेर, महावीर, हरि, मृगपति, वनराज, शार्दूल, नाहर, सारंग, मृगराज
समुद्र : सागर, पयोधि, जलधि, सिंधु, रत्नाकर, उदधि, पारावार, नदीश, वारिधि
सम : सर्व, समस्त, सम्पूर्ण,निखिल , पूर्ण, समग्र, अखिल,
समीप : सन्निकट, निकट, पास ,आसन्न,
समूह : दल, झुंड, मण्डली, वृंद, गण, समुदाय, टोली, समुच्चय ,जत्था, पुंज, संघ,
सभा : अधिवेशन, बैठक, महासभा ,संगीति, परिषद,
सुन्दर : मनोहर, सुहावना, ललाम, चारु, रम्य, रमणीक, चित्ताकर्षक, मंजुल, रुचिर, कलित, सुरम्य ,कमनीय, उत्कृष्ट, उत्तम,
सन्ध्या : सायंकाल, शाम, साँझ, प्रदोषकाल, गोधूलि
स्त्री : सुन्दरी, कान्ता, कलत्र, वनिता, नारी, औरत, कामिनी, रमणी ,महिला, अबला, ललना,
सुगंधि : सौरभ, सुरभि, महक, खुशबू
स्वर्ग : सुरलोक, ब्रह्मधाम,दिव्यधाम, त्रिदिव, द्यौ, परमधाम, देवलोक, ,दयुलोक
स्वर्ण : हिरण्य , हेन, हारक, सुवर्ण, कंचन, तामरस, जातरूप, सोना,
सरस्वती : शारदा,वागेश्वरी ,विमला, वागीश, गिरा, वीणापाणि, भारती,
सहेली : आली, सखी, सैरन्ध्री ,सहचरी, सजनी,
संसार : विश्व, दुनिया ,जहान, जगत, लोक, जग,
सब – अखिल, सम्पूर्ण, सकल, सर्व, समस्त, समग्र, निखिल।
संकल्प – वृत, दृढ़ निश्चय, प्रतिज्ञा, प्रण।
संग्रह – संकलन, संचय, जमावा
संन्यासी – बैरागी, दंडी, विरत, परिव्राजका
सजग – सतर्क, चौकस, चौकन्ना, सावधान।
संहार – अन्त, नाश, समाप्ति, ध्वंसा
समसामयिक – समकालिक, समकालीन, समवयस्क, वर्तमान।
समीक्षा – विवेचना, मीमांसा, आलोचना, निरूपण।
समुद्र – नदीश, वारीश, रत्नाकर, उदधि, पारावार।
सखी – सहेली, सहचरी, सैरंध्री।
सज्जन – भद्र, साधु, पुंगव, सभ्य, कुलीन।
संसार – विश्व, दुनिया, जग, जगत्, इहलोक।
समाप्ति – इतिश्री, इति, अंत, समापन।
( ह )
हस्त : हाथ, कर, पाणि, बाहु, भुजा
हिमालय : हिमगिरी, हिमाचल, नगेश ,गिरिराज, पर्वतराज,
हिरण : सुरभी, हिरन ,कुरग, मृग, सारंग,
होंठ : अक्षर, ओष्ठ, ओंठ
हनुमान : रामदूत, मारुततनय, अंजनीपुत्र, आंजनेय, कपीश्वर, पवनसुत, पवनकुमार, महावीर, केशरीनंदन, बजरंगबली, मारुति
हिमांशु : हिमकर, चन्द्र, निशिपति ,निशाकर, क्षपानाथ, चन्द्रमा,
हंस : कलकंठ, मानसौक , मराल, सिपपक्ष,
हृदय : उर ,वक्षस्थल, हिय, छाती, वक्ष,
हाथ : कर, पाणि , हस्त,
हाथी : कुंजर, करी, , हस्ती, मदकल ,कूम्भा, मतंग, वारण, गज, द्विप,नाग ,राज,
हंस – मुक्तमुक, मराल, सरस्वतीवाहन।
हाँसी – स्मिति, मुस्कान, हास्य।
हित – कल्याण, भलाई, भला, उपकार।
हक – अधिकार, स्वत्व, दावा, फर्ज़, उचित पक्ष।
हिमालय – हिमगिरि, हिमाद्रि, गिरिराज, शैलेन्द्र।
हनुमान् – पवनसुत, महावीर, आंजनेय, कपीश, बजरंगी, मारुतिनन्दन, बजरंग।
( क्ष )
- क्षेत्र – प्रदेश, इलाका, भू –भाग, भूखण्ड।
- क्षणभंगुर – अस्थिर, अनित्य, नश्वर, क्षणिका
- क्षय – तपेदिक, यक्ष्मा, राजरोग।
- क्षुब्ध – व्याकुल, विकल, उद्विग्न।
- क्षमता – शक्ति, सामर्थ्य, बल, ताकत।
- क्षीण – दुर्बल, कमज़ोर, बलहीन, कृश
You May Like This:-
- Visheshan ( विशेषण ) , परिभाषा , भेद , की पूरी जानकारी
- Sarvanam (सर्वनाम) परिभाषा , भेद , प्रकार की पूरी जानकारी
- Viram Chinh ( विराम चिन्ह ) परिभाषा , प्रकार
- Ling ( लिंग ) परिभाषा , भेद , लिंग के प्रकार
- Sangya Kise Kahate Hain | संज्ञा की पूरी परिभाषा
- One Word Substitution (अनेक शब्दों के लिए एक शब्द)
- Hindi Grammar ( व्याकरण ) पूरी जानकारी & PDF Book
जरुर पढ़ें :- दोस्तों अगर आपको किसी भी प्रकार का सवाल है या ebook की आपको आवश्यकता है तो आप निचे comment कर सकते है. आपको किसी परीक्षा की जानकारी चाहिए या किसी भी प्रकार का हेल्प चाहिए तो आप comment कर सकते है. हमारा post अगर आपको पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ share करे और उनकी सहायता करे.