Tatpurush Samas (तत्पुरूष समास) —जिस समास का उत्तर पद प्रधान हो और पूर्व पद गौण हो उसे तत्पुरूष समास कहते हैं।
जैसे — राजमहल _ राजा का महल , इसमें दूसरा पद महल प्रधान है और ‘ का’ लोप है।
द्वितीय पद प्रधान समास को Tatpurush Samas (तत्पुरूष समास) हैं. सामान्यतः इस समास मेंपहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य होता है. तत्पुरुष समास के विग्रह में विभक्ति चिह्नों का लोप हो जाता है. जिस विभक्ति चिह्नका लोप होता है, उसी के आधार पर तत्पुरुष का नामकरण करदिया जाता है.
जैसे-यश प्राप्त-यश को प्राप्त यहाँ ‘को’ का लोपहै अतः कर्म तत्पुरुष, हस्तलिखित हाथ से लिखा गया. यहाँ ‘से’ (के द्वारा) का लोप होने के कारण तत्पुरुष, रोगमुक्त-रोग से मुक्त मेंसे (अपाय) का लोप होने से अपादान और राजपुत्र राजा का पुत्र में ‘का’ का लोप होने से सम्बन्ध तत्पुरुष माना जाएगा.तत्पुरूष समास में कारक की विभक्तियों का लोप हो जाता है। इसलिए कर्ता व संबोधन को छोड़कर शेष छ: कारकों के अनुसार छ: तत्पुरूष समास होते हैं ।

Tatpurush Samas (तत्पुरूष समास), उदाहरण , परिभीषा , भेद
Tatpurush Samas (तत्पुरूष समास), उदाहरण , परिभीषा , भेद
- कर्म तत्पुरुष (द्वितीया कारक चिन्ह) (गिरहकट – गिरह को काटने वाला)
- करण तत्पुरुष (मनचाहा – मन से चाहा)
- संप्रदान तत्पुरुष (रसोईघर – रसोई के लिए घर)
- अपादान तत्पुरुष (देशनिकाला – देश से निकाला)
- संबंध तत्पुरुष (गंगाजल – गंगा का जल)
- अधिकरण तत्पुरुष (नगरवास – नगर में वास)
विशेष-समस्त पद बनते समय विभक्ति चिह्नों का लोप हो जाता है तथा इसके विपरीत समास विग्रह के अन्तर्गत विभक्ति चिह्नों ‘से’, ‘पर’, ‘को’ आदि का प्रयोग किया जाता है।
- संस्कृत से हिंदी में कुछ ऐसे समास भी आ गए हैं जिनसे कुछ विशिष्ट नियमों के कारण संस्कृत की विभक्तियों का लोप नहीं होता।
जैसे-
मृत्यु को जीतने वाला- मृत्युंजय (शिव)
विश्व को भरने वाला – विश्वंभर (ईश्वर)
- अनेक बार दोनों पदों के मध्य आने वाला ‘पूरा शब्द समूह’ (परसर्ग की तरह लुप्त) हो जाता है, जैसे-
दही + बड़ा = दही में डूबा हुआ बड़ा
उदाहरण-
(1) कर्म तत्पुरूष समास- गिरहकट= गिरह को काटने वाला।
स्वर्गवास = स्वर्ग को प्राप्त।
(2) करण तत्पुरूष समास- मनचाहा = मन से चाहा।
बिहारी रचित = बिहारी द्वारा रचित।
(3) सम्प्रदान तत्पुरूष समास- रसोईघर = रसोई के लिए घर।
मार्गव्यय = मार्ग के लिए व्यय।
(4) अपादान तत्पुरूष समास- देशनिकाला= देश सेे निकाला।
ऋणमुक्त = ऋण से मुक्त।
(5) सम्प्रदान तत्पुरूष समास- गंगाजल = गंगा का जल।
दीनानाथ= दीनोंं के नाथ
(6) अधिकरण तत्पुरूष समास-नगरवास = नगर में वास।
आपबाती= आप पर बीती।
Samas In Hindi | समास की परिभाषा , भेद , प्रकार , उदाहरण पूरी जानकार –
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