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Tatsam Tadbhav (तत्सम-तद्भव शब्द) – सभी हिन्दी शब्द समूह

Tatsam Tadbhav (तत्सम-तद्भव शब्द) :- हिन्दी के शब्द भण्डार में लगभग 50 प्रतिशत शब्द ऐसे हैं जो सीधे संस्कृत से आए या उनके विकृत रूप (परिवर्तित रूप) ग्रहण कर लिए गए हैं. शब्दों के उक्त दो वर्गों को क्रमशः तत्सम और तद्भव शब्द कहा जाता है।

तत्सम शब्दों में समय और परिस्थियों के कारण कुछ परिवर्तन होने से जो शब्द बने हैं उन्हें तद्भव (तत् + भव = उससे उत्पन्न) कहते हैं। भारतीय भाषाओं में तत्सम और तद्भव शब्दों का बाहुल्य है। इसके अलावा इन भाषाओं के कुछ शब्द ‘देशज’ और अन्य कुछ ‘विदेशी’ हैं।

Tatsam Tadbhav (तत्सम-तद्भव शब्द) - सभी हिन्दी शब्द समूह

Tatsam Tadbhav (तत्सम-तद्भव शब्द) – सभी हिन्दी शब्द समूह

हिन्दी शब्द का भंडार अत्यंन्त विस्तृत हैं इन शब्दो को चार भागो मेें बाटा जा सकता हैं-

1- तत्सम शब्द

2-तद्भव शब्द

3-देशज शब्द

4-विदेशी शब्द

1- तत्सम शब्द :- वे शब्द जो संस्कृत से हिन्दी में बिना किसी ध्वनि परिवर्तन के ज्यों-के-त्यों आ गए हैं. उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं,
जैसे –
राजा, अग्नि, इंद्र, धनु, अश्रु आदि।

2-तद्भव शब्द :- तद्भव-वे शब्द जो संस्कृत की परम्परा से ध्वनि परिवर्तनों के साथ परिवर्तित रूप में हिन्दी को प्राप्त हुए हैं. इस वर्ग में आते
हैं। जैसे-आँसू (अश्रु), ऊँट (उष्ट्र), धीरज (धैर्य), मामा (मातुल). यहाँ कोष्ठक में दिए शब्दों से ये शब्द क्रमशः विकसित हुए हैं।

3-देशज शब्द-हिन्दी के वे शब्द जिनकी उत्पत्ति (व्युत्पत्ति) के संदर्भ में कुछ निर्णय नहीं लिया जा सका है, देशज शब्द कहलाते हैं,
देशज वे शब्द हैं जिनका स्रोत अज्ञात रहता है. सम्भवतः भाषा की तत्कालीन आवश्यकता की पूर्ति के लिए इन शब्दों का निर्माण होता रहता है,

देशज शब्दों के कुछ उदाहरण ये हैं-जूता, कटोरा, कठौता, भीत, कटौरा, लडुआ, अचक्क, रहतुआ, देमचरा, विराना, डबुआ, कुल्हड़, मरकिना, चुकट्टा, भोलुआ, टका, गण्डा, कोड़ी, खिचड़ी, चिड़िया, फुलगी, पगड़ी, कलई, डिबिया, पोता (चौका चूल्हा साफ करने का कपड़ा).
डॉ. हरदेव बाहरी के मतानुसार देशज शब्द इस देश की धरती की उपज हैं. ये सामान्यतः दो प्रकार के हैं-

(1) जो आदिवासी जातियाँ ने अपनाए हैं, जैसे-कदली, कपास, कोड़ी, गज (हाथी), टीडा, तोर, परवल, बाजरा, भिण्डी, मिर्च, सरसों आदि. ये शब्द कोल संथाल आदि जातियों से आए हैं. इसी प्रकार कुछ देशज शब्द द्रविड़ जातियों से आए हैं,

जैसे- ऊखल, कज्जल, काच, कुद्दाल, घुण, ताला, डोसा, इडली, सांभर, पिल्ला आदि.

(2) अपनी गढंत के शब्द-अं डवंड, ऊटपटांग, कड़क, खचाखच, खटपट, चटपट, खर्राटा, खलबली, गड़गड़ाहट, घुन्ना, चाट, चिड़िचिड़ा, चुटकी, छिछला, फेंकार, टुच्चा, ठठेरा, धमक, पटाखा, पापड़, भभक, खरौंच, खुर्रट, घुड़कना, सनसनाना, हिनहिनाना आदि.

विदेशी शब्द-जो विदेशी भारत आए, वे अपने साथ अपनी भाषा भी लाए. उनके सम्पर्क में आने के फलस्वरूप उनकी भाषाओं के अनेक शब्द ग्रहण कर लिए गए और उपयोगिता के आधार पर वे शब्द हिन्दी की स्थायी सम्पत्ति बन गए हैं, जैसे-

विदेशी शब्द कई वर्गों में विभक्त किए जा सकते हैं-

  • अंग्रेजी शब्द – बोलचाल में अंग्रेजी के सर्वाधिक शब्द सहज भाव से ग्रहण कर लिए गए हैं, जैसे—स्कूल, मास्टर, स्टेशन, रेल, प्लेटफार्म, टिकट, सिंगल, डाक्टर, फीस, कोर्ट, जज, मजिस्ट्रेट, पुलिस, टैक्स, कलक्टर, डिप्टी, पेन्शन, ऑफिस, ऑफिसर, वोट, कॉपी, पेंसिल, पेन, पेपर, कॉलेज, लाइब्रेरी, प्लेट, जग, कप, लैम्प, बल्ब, रोड, कोट, पैंट, हैट, बूट, सूट, वोट, नर्स, वार्ड, ब्लाउज, स्कर्ट, माचिस, सूटकेस, बिस्कुट, केक, टॉफी, ब्रेड, टोस्ट, चाकलेट, शाप, वन मोटर, बैटरी, इंजन, इंजीनियर, ब्रेकआदि लगभग 3500 शब्द।
  • अरबी शब्द- अल्लाह, असर, इजलास, इरादा, इशारा, ईमान, ईद, किताब, एहसान, खारिज, जिला, तहसील, नकद, बालिग, बुनियाद,
    महल, अमीर आदि।
  • फारसी शब्द-अगर, अमरूद, आराम, आफत, आबरू, आमदनी, आवारा, आसमान, आइना, उस्ताद, कारागर, कुरता, खुश, गदा,
    गवाह, चालाक, जलेबी, जुलाहा, जुकाम, तज, दफ्तर, दजी, दवा, दारू, दरवाजा, दीवार, दलाल, पाजामा, बारिश, बुखार, बदहजमी,
    बरामदा, बालूशाही, बेकार, बुलबुल, महनत, मकान, मजा मुश्किल, समोसा आदि।
  • तुर्की शब्द- उर्दू, कूच, काबू, कुली, कैंची, खंजर, चाकू, चिक, चेचक, चम्मच, तोप, तोशक, दरोगा, बारूद, बहादुर, लाश, सराय आदि.
  • पुर्तगाली शब्द-अनानास, आलपीन, कोको, गमला, गिरजा, चाबी, नीलाम, पपीता, पादरी, बम्बा, बाल्टी आदि.
  • फ्रेंच शब्द-अंग्रेज, कारतूस, कूपन, फ्रांसीसी.
  • डच शब्द-तुरूप, बम, ताँगा.
  • रूसी शब्द–जार, बोदका, स्पुतनिक.
  • संकर शब्द – जिन शब्दों की रचना हिन्दी और अंग्रेजी अथवा हिन्दी और अरबी, फारसी, पुर्तगाली या किन्ही अन्य भाषा के शब्दो या शब्दाशों के संयोग से की जाती हैं उसको संकर शब्द कहते हैं। जैसे-  टिकटघर, मिठाई वाला, सिंगार, टेबुल, लाज-लिहाज,धन-दौलत, हल-घर, लाट-साहब, फैशन-परस्त, मेमसाहब, बदतमीज,राजमहल , तुरुपचाल, जिलाधिकारी,पूजा घर, गिरजाघर,चार-कार्नर,आदि।

Tatsam Tadbhav (तत्सम-तद्भव शब्द)

तत्सम और तद्भव शब्दों को याद करने की ट्रिक व पहचानने के नियम:

  1. तत्सम शब्दों के पीछे  क्ष  वर्ण का प्रयोग होता है और तद्भव शब्दों के पीछे  ख  या    शब्द का प्रयोग होता है।
  2. तत्सम शब्दों में  श्र  का प्रयोग होता है और तद्भव शब्दों में  स  का प्रयोग हो जाता है।
  3. तत्सम शब्दों में    का प्रयोग होता है और तद्भव शब्दों में    का प्रयोग हो जाता है।
  4. तत्सम शब्दों में    वर्ण का प्रयोग होता है।
  5. तत्सम शब्दों में  ऋ  की मात्रा का प्रयोग होता है।
  6. तत्सम शब्दों में    की मात्रा का प्रयोग होता है।
  7. तत्सम शब्दों में  व  का प्रयोग होता है और तद्भव शब्दों में    का प्रयोग होता है।

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