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वाक्य परिभाषाा | Vakya ke kitne bhed hote hain

Vakya (वाक्य) :- दो या दो से अधिक शब्दों के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं।

कर्ता और क्रिया के आधार पर वाक्य के भेद

वाक्य के दो भेद होते हैं-

  • उद्देश्य
  • विधेय

1-उद्देश्य:- जिसके विषय में कुछ कहा जाता हैं, उसे सूचित करने वाले शब्द तो उद्देश्य कहते हैं।

2-विधेय:- उद्देश्य के बारे में जो कुछ कहा जाता हैं, अथवा उद्देश्य (कर्ता) जो कुछ कार्य करता हैं वह सब विधेय कहलाता हैं।

उदाहरण :- ‘मोहन प्रयाग में रहता है’। इसमें उद्देश्य है – ‘मोहन’ , और विधेय है – ‘प्रयाग में रहता है।

Vakya ke kitne bhed hote hain

(Vakya ke kitne bhed hote hain) वाक्य भेद दो प्रकार से किए जा सकते हैं —

1- अर्थ के आधार पर वाक्य भेद (Arth Ke Aadhar Par Vakya ke bhed)
2- रचना के आधार पर वाक्य भेद ( Rachna ke aadhar par vakya ke bhed)

1- (Arth Ke Aadhar Par Vakya ke bhed) अर्थ के आधार पर वाक्य भेद :-

अर्थ के आधार पर आठ प्रकार के वाक्य होते हैं –

1-विधान वाचक वाक्य

2- निषेधवाचक वाक्य

3- प्रश्नवाचक वाक्य

4- विस्म्यादिवाचक वाक्य

5- आज्ञावाचक वाक्य

6- इच्छावाचक वाक्य

7-संकेतवाचक वाक्य

8- संदेहवाचक वाक्य।

1-विधानवाचक वाक्य – वह वाक्य जिससे किसी प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है, वह विधानवाचक वाक्य कहलाता है। उदाहरण –

भारत एक देश है।
श्रीराम के पिता का नाम दशरथ था।
दशरथ अयोध्या के राजा थे।

2-निषेधवाचक वाक्य : जिन वाक्यों से कार्य न होने का भाव प्रकट होता है, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे-

मैंने दूध नहीं पिया।
मैंने खाना नहीं खाया।
राधा कुछ न कर सकी।

3-प्रश्नवाचक वाक्य – वह वाक्य जिसके द्वारा किसी प्रकार प्रश्न किया जाता है, वह प्रश्नवाचक वाक्य कहलाता है। उदाहरण –

भारत क्या है?
श्रीराम के पिता कौन थे?
दशरथ कहाँ के राजा थे?

4-आज्ञावाचक वाक्य – वह वाक्य जिसके द्वारा किसी प्रकार की आज्ञा दी जाती है या प्रार्थना किया जाता है, वह आज्ञावाचक वाक्य कहलाता हैं। उदाहरण –

बैठो।
बैठिये।
कृपया बैठ जाइये।
शांत रहो।
कृपया शांति बनाये रखें।

5-विस्मयादिबोधक वाक्य – वह वाक्य जिससे किसी प्रकार की गहरी अनुभूति का प्रदर्शन किया जाता है, वह विस्मयादिबोधक वाक्य कहलाता हैं। उदाहरण –

अहा! कितना सुन्दर उपवन है।
ओह! कितनी ठंडी रात है।
बल्ले! हम जीत गये।

6-इच्छावाचक वाक्य – जिन वाक्यों में किसी इच्छा, आकांक्षा या आशीर्वाद का बोध होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं। उदाहरण- भगवान तुम्हे दीर्घायु करे। नववर्ष मंगलमय हो।

7-संकेतवाचक वाक्य- जिन वाक्यों में किसी संकेत का बोध होता है, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं। उदाहरण-

राम का मकान उधर है।
सोनु उधर रहता है।

8-संदेहवाचक वाक्य – जिन वाक्यों में संदेह का बोध होता है, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं। उदाहरण-

क्या वह यहाँ आ गया ?
क्या उसने काम कर लिया ?

2-(Rachna ke aadhar par vakya ke bhed )रचना के आधार पर वाक्य के भेद- रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते हैं-

1-साधारण वाक्य

2-सयुक्त वाक्य

3-मिश्रित वाक्य

1-साधारण वाक्य :- जिस वाक्य में केवल एक ही उद्देश्य (कर्ता) और एक ही समापिका  क्रिया हो, वह साधारण वाक्य कहलाता है।

उदाहरण – 1. बच्चा दूध पीता है।

2- श्रेय गेंद से खेलता है।

3- मृदुला पुस्तक पढ़ रही है।

इन वाक्यों में एक कर्ता और उसकी एक ही क्रिया हैं। ऐसे वाक्य साधारण वाक्य कहलाते हैं।

विशेष-इसमें कर्ता के साथ उसके विस्तारक ||. परिभाषा- विशेषण और क्रिया के साथ विस्तारक साधारण वा सहित कर्म एवं क्रियाविशेषण आ सकते किन्तु, और हैं। जैसे-अच्छा बच्चा मीठा दूध अच्छी तरह पीता है। यह भी साधारण वाक्य है।

2-सयुक्त वाक्य – दो या दो से अधिक साधारण वाक्य जब समुच्यबोधक ( पर, किन्तु, और, या आदि ) से जुड़े जाते हैं तो वे संयुक्त वाक्य कहलाते हैं।

उदाहरण- 1- ठंडी हवा चल रही थी इसलिए मैं जल्दी न उठ सका।

2-मैनें तुम्हारी काफी प्रतिक्षा की पर तुम न आये।

3- हम कार्य तो करना चाहते हैं किन्तु उसे भलि भाँति नही कर पाते।

विशेष- इन वाक्यो में दो स्वंतन्त्र उपवाक्य इसलिए, पर, किन्तु इन समुच्यबोधक  अव्ययों से जुड़े हुए हैं। ऐसे वाक्य सयुक्त वाक्य कहलाते हैं।

सयुक्त वाक्य चार प्रकार के होते हैं-

1- संयोजक

2-विभाजक

3-विकल्पसूचक

4-परिणाम बोधक

1- संयोजक-  जब एक साधारण वाक्य दूसरे साधारण या मिश्रित वाक्य से संयोजक अव्यय द्वारा जुड़ा होता हैं। जैसे- गीता गई और सीता आई।

2-विभाजक- जब साधारण अथवा मिश्र वाक्यों का परस्पर भेद या विऱोध का सम्बन्ध रहता हैं। जैसे- वह मेहनत तो बहुत करता हैं पर फल नही मिलता।

3-विकल्पसूचक- जब दो बातों में से किसी एक को मँजूर करना होता हैं। जैसे-या तो मैं उसे अखाड़े में पछाड़ूगा या अखाड़े में उतरना ही छोड़ दूँगा।

4- परिणाम बोधक- जब एक साधारण वाक्य दूसरे साधारण या मिश्रित वाक्य का परिणाम होता हैं। जैसे- आज मुझे बहुत काम हैं इसलिए मैं तुम्हारे पास नही  आ सकूँगा।

3-मिश्रित वाक्य- जब किसी विषय पर पूर्ण विचार  प्रकट करने के लिए कई साधारण वाक्यों को मिलाकर एक वाक्य की रचना की रचना करनी पड़ती हैं तब ऐसे रचित वाक्य ही मिश्रित वाक्य कहलाते हैं।

उदाहरण- 1- मैं  विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि यह साइकिल मेरी हैं।

2- जो मेहनत करता हैं, वह फल पाता हैं।

3- मालुम होता हैं कि आज वर्षा होगी।

  • मिश्रित वाक्य में एक मुख्य उपवाक्य होता हैं और दूसरा आश्रित  उपवाक्य। प्रथम वाक्य में ‘मैं विश्वास के साथ कहसकता हूँ मुख्य उपवाक्य है और ‘कि वह साइकिल मेरी हैआश्रित उपवाक्यहै जो समुच्चयबोधक ‘कि‘ से जुड़े हुएहैं द्वितीय वाक्य में ‘वह फल खाता है‘ मुख्य उपवाक्य है और ‘जो मेहनत करता है आश्रित उपवाक्य है। तृतीय वाक्यमें ‘मालूम होता है’ मुख्य उपवाक्य है।और ‘कि आज वर्षा होगी’ आश्रित उपवाक्य  है।

विशेष – इन वाक्यों में एक मुख्य उपवाक्य और एक अथवा अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं जो समुच्चयबोधक से जुड़े होते हैं।

प्रतियोगी परिक्षा में पूछे गये कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न-

  • जिस वाक्य में किसी बात का होना पाया जाय-विधानार्थक वाक्य
  • जिस वाक्य से प्रश्नात्मक भाव प्रकट हो- प्रश्नार्थक वाक्य
  • जिस वाक्य से संकेत का बोध हो-संकेतार्थक वाक्य
  • वाह ! क्या सुन्दर दृश्य है।’ यह कैसा वाक्य है- विस्मयादि बोधक वाक्य।
  • वाक्य के प्रमुख खण्ड है- दो (उद्देश्य व विधेय)
  • रचनानुसार वाक्य के भेद हैं- तीन (साधारण वाक्य, संयुक्त वाक्य, मिश्रित वाक्य)।
  • पूजा गाना गा रही है। यह कैसा वाक्य है- साधारण वाक्य
  • पूजा पढ़ती है और कोचिंग भी पढ़ाती है। यह कैसा वाक्य है- संयुक्त वाक्य
  • जो मोबाइल मेज पर रखी है, वह पूजा को पुरस्कार स्वरूप मिली है।’ यह कैसा वाक्य है-विशेषण उपवाक्य
  • जो, जब-जब, कि, इसलिए पर, और, तथा’ शब्द हैं- संयोजक
  • संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया शब्द हैं- विकारी शब्द
  • समुच्चयबोधक, क्रियाबोधक, संबंधबोधक, विस्मयादिबोधक शब्द है- अविकारी शब्द
  • शब्द भाषा की कैसी इकाई है? – स्वतंत्र एवं सार्थक इकाई
  • सामान्यतः शब्द के कितने प्रकार होते हैं? –2

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