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ATM Full Form | ATM क्या हैं ? | ATM कब बना जानिए

ATM Full Form :- आज हम आपको ATM के बारे में बातायेगें जो कि आपके लिए जानना बहुत ही जरूरी हैं । जो आज के समय सभी के लिए बहुत ही जरूरी हो चुका हैं । हम आज ATM के बिना जीवन यापन करना बहुत ही मुश्किल हो जायेगा। आज आपको कही भी पैसे की अगर जरूरत पड़ती हैं तो आप ATM का प्रयोग करके पैसे प्राप्त कर सकते हैं।

ATM Full Form ATM क्या हैं ATM कब बना जानिए

ATM Full Form ATM क्या हैं ATM कब बना जानिए

ATM Full Form In English- Automated Teller Machine

ATM Full Form In Hindi-  स्वचालित गणक मशीन
स्वचालित गणक मशीन (अंग्रेज़ी:आटोमेटिड टैलर मशीन, लघु:एटीएम) को आटोमेटिक बैंकिंग मशीन, कैश पाइंट, होल इन द वॉल, बैंनकोमैट जैसे नामों से यूरोप, अमेरिका व रूस आदि में जाना जाता है। यह मशीन एक ऐसा दूरसंचार नियंत्रित व कंप्यूटरीकृत उपकरण है जो ग्राहकों को वित्तीय हस्तांतरण से जुड़ी सेवाएं उपलब्ध कराता है।इस हस्तांतरण प्रक्रिया में ग्राहक को कैशियर, क्लर्क या बैंक टैलर की मदद की आवश्यकता नहीं होती है। खुदरा यानि रिटेल बैंकिंग के क्षेत्र में एटीएम बनाने का विचार समांनातर तौर जापान, स्वीडन, अमेरिका और इंग्लैंड में जन्मा और विकसित हुआ। हालांकि सबसे पहले इसका प्रयोग कहां शुरू हुआ यह अभी तय नहीं हो पाया है।

ATM का इतिहास (History Of ATM)

मौटे मौर, लंदन और न्यूयॉर्क में सबसे पहले इससे प्रयोग में लाए जाने के उल्लेख मिलते हैं। 1960 के दशक में इसे बैंकोग्राफ के नाम से जाना जाता था। कुछ दावों के अनुसार सबसे पहले प्रायोगिक तौर पर 1961 में सिटी बैंक ऑफ न्यूयॉर्क ने न्यूयॉर्क शहर में ग्राहकों की सेवा में चालू किया था। वैसे ग्राहकों ने तब इसे अस्वीकृत कर दिया था। इस कारण छह माह के बाद ही इससे हटा लिया गया था।

इसके बाद टोक्यो, जापान में 1966 में इसका उपयोग हुआ था। आधुनिक एटीएम की सबसे पहली पीढ़ी का प्रयोग 27 जून, 1967 में लंदन के बार्केले बैंक ने किया था। उस समय तक कुछ ही ग्राहकों को इसकी सेवा का लाभ मिल पाया था। उस समय आज के एटीएम कार्ड के बजाए क्रेडिट कार्ड के जरिए इसकी सेवाओं का उपयोग किया जाता था।

इसके पहले ग्राहक कॉमेडी एक्टर रेग वरने बने थे। इंग्लैंड ने प्रयोग में लाई गई मशीन के आविष्कार का श्रेय जॉन शेपर्ड को जाता है। इसके विकास में इंजीनियर डे ला रूई का भी महत्त्वपूर्ण योगदान है। वर्तमान एटीएम मशीनें इंटरबैंक नेटवर्क से जुड़ी होती हैं। यह नेटवर्क पीयूएलएसइ, पीएलयूएस आदि नामों से जाने जाते हैं।

ATM का प्रयोग कैसे करे

वर्तमान युग में एटीएम का प्रयोग मानव दिनचर्या का महत्त्वपूर्ण अंग बन गया है। अतएव एटीएम प्रयोग करते समय कुछ सावधानियां आवश्यक हैं। इन सावधानियों को ध्यान में न रखने पर बेवजह की कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

  • एटीएम से पैसा निकालते समय, खासकर रात के समय तो एक साथी को लेकर अवश्य जाएं।
  • एटीएम कार्ड को पहले से बाहर निकाल कर रखें। मशीन के पास पहुंचने पर अपने पर्स आदि से निकालने में समय न लगाएं। रात के समय इस बात का खासतौर पर ख्याल रखें कि कोई संदेहास्पद व्यक्ति आपके आसपास न हो।
  • कोशिश करें अगर ज्यादा रकम निकालने जा रहे हैं तो ऐसे क्षेत्र का एटीएम चुने जो तुलनात्मक तौर पर अधिक सुरक्षित हो।
  • एटीएम का प्रयोग करते समय ध्यान रखें कि कोई आपका पिन नम्बर न देख पाए। अव्वल तो कोई आपके साथ एटीएम केबिन में अनजाना व्यक्ति मौजूद ही नहीं होना चाहिए। अपने शरीर से एटीएम की-पेड को कवर रखें।
  • एटीएम मशीन से निकलने के बाद निकाली गई राशि को गिने जरूर पर यह भी ध्यान रखें कि ऐसा करते समय किसी की निगाहें आप पर न हों।
  • मशीन से प्राप्त रसीद को अपने पास जरूर रखें और इसका मिलान अपने अपने बैंक स्टेटमेंट से अवश्य करें। अगर कोई समस्या हो तो संबंधित बैंक से संपर्क करें।
  • पिन नम्बर को याद रखें। अगर याद नहीं हो पाता है तो उसे ऐसी जगह लिखकर रखें जहां सिर्फ आप की ही पहुंच हो। एटीएम का प्रयोग करते समय इसका बेहद सावधानी से प्रयोग करें और इसे मशीन के आसपास रखा न छोड़े।
  • अपने फोन नम्बर, घर के पते, नाम या संकेताक्षरों आदि पर अपना पिन नम्बर न रखें।
  • पिन डालते समय कीपैड को अपने दूसरे हाथ से छुपाए रखें।

ATM की समस्याएं

ग्राहकों के लिए बैंकों से रुपयों की निकासी सरल बनाने हेतु एटीएम मशीनों को लागू किया गया था, लेकिन इन एटीएम मशीनों में भी कई समस्याएं आती रहती हैं। इनके कारण ग्राहकों को कई बार परेशानी उठानी पड़ जाती है। मशीन से कभी नकली नोट निकल आते हैं तो कभी बिना नोट निकले ही निकाले गए रुपयों की खाली रसीद बाहर दिखा देती है।

इसका संभावित कुछ हद तक कारण बैंकों में चाइनीज कंप्यूटर तकनीक का प्रयोग माना जा रहा है। इसके अलावा हाल की कुछ घटनाओं से एटीएम मशीन को ही चोरी कर ले जाने की घटनाएं सुनाई दी हैं। इनके कारण चोरी या लूट का अलार्म न बजना या मशीन के तार काटे जाने पर स्विच यानी कंट्रोल रूम को खबर भी न लग पाना आदि हैं। एटीएम मशीन मरम्मत के लिये खुली होने की स्थिति में स्विच के साथ अपना संपर्क तोड़ देती है। ऐसे समय बैंक अधिकारी या एटीएम वैंडर के सामने मशीन की आवश्यक मरम्मत की जाती है। परंतु एटीएम मशीनों की चेस्ट या तिजोरी खुली होने की दशा में भी ये मशीनें स्विच को झूठा संदेश देते हुए आनलाइन रहती हैं। यानी ऐसा संभव है कि मशीन चोर ले जाएं और स्विच को खबर भी न लगे।

कई बार किसी एटीएम मशीन से नकली नोट निकल पड़ते हैं और बैंक इनकी कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता। कई बार जब एटीएम मशीन खाते से रुपये तो निकाले दिखा देती है लेकिन नकदी मशीन से बाहर नहीं आती या कभी कम ही निकालती है। ऐसी शिकायतों के लिये ग्राहक बैंक में पूछताछ करते हैं तो बैंक अपने काल सेंटर का नंबर थमा देते हैं। टोल फ्री नंबर पर चलाए जा रहे इस काल सेंटर की लाइन मिलना ही पहले तो मुश्किल है और मिल भी जाए तो आधे घंटे की बातचीत के बावजूद ग्राहक को राहत नहीं मिल पाती। सामान्यत: काल सेंटर ग्राहकों को बिना मांगे शिकायत संख्या तक उपलब्ध नहीं कराते। ग्राहक शिकायत संख्या लेकर मानसिक तनाव ग्रस्त हो इससे कहीं बेहतर है कि बैंक में जाकर चैक से अपनी राशि निकाले और इन झंझटों से मुक्त रहे।

प्रायः एटीएम कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग के आवेदन पर साफ लिखा होता है कि किसी किस्म के नुकसान के लिए बैंक की जवाबदेही नहीं होगी। हैकिंग और पासवर्ड चोरी में बैंककर्मियों की संलिप्तता के मामले भी अब खुलने लगे हैं। ग्राहक अपने खोए हुए एटीएम कार्ड को अपने बैंक में जाकर कैंसिल नहीं करवा सकते। बैंक दावा करता है कि आप किसी भी शाखा से एटीएम कार्ड जारी करवा सकते हैं, लेकिन यही कार्ड खो जाए तो पहले बैंक के काल सेंटर में इसकी शिकायत दर्ज करानी है।

शिकायत नंबर लेकर बैंक को सूचित करना है। खोए हुए एटीएम कार्ड से नकदी निकालने के अलावा खरीददारी भी संभव है सो ग्राहक चाहता है कि तुरंत उसे खोए कार्ड से मुक्ति मिलनी चाहिए। एटीएम कार्ड का गलत इस्तेमाल हो तो ग्राहक को पुलिस या कोर्ट कचहरी के चक्कर भी कटवा सकत है। यदि आपने किसी दूसरे बैंक का एटीएम कार्ड किसी दूसरे बैंक के एटीएम में इस्तेमाल किया है और राशि नहीं मिली है तो दोगुनी मानसिक परेशानी झेलनी पडी़। सकती है। एटीएम मशीन फेल होने की दशा में बैंक की एकांउटिंग प्रणाली भी फेल हो जाती है।

एटीएम कोड के अनुसार राशि का भुगतान हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता। मशीन में उपलब्ध 100, 500 व 1000 के डिब्बों से दूसरी करेंसी की आपूर्ति न हो सके इसके लिए न तो कोई मकैनिकल न ही कोई साफ्टवेयर में व्यवस्था है। इस दृष्टि से ये मशीनें बैंकिंग के लिये सुरक्षित नहीं मानी जा सकती। गलत भुगतान की प्रविष्टियों को ठीक करने की व्यवस्था भी कारगर नहीं है।

कभी मशीन आवाज करती रहती है, पैसा बाहर नहीं निकलता और एटीएम हैंग हो जाता है। कभी यह राशि किसी दूसरे ग्राहक को अनायास ही मिल जाती है क्योंकि राशि बीच में अटकी रहती है और एटीएम अचानक काम करना शुरू कर देता है। कभी ग्राहक की यही राशि एटीएम में नकदी, कागज या रिबन फीड करने वाली कम्पनी के लोगों के हाथ भी लग जाती है।

एटीएम मशीनों के मेंटीनैंस के नाम पर एटीएम में नकदी भरना, दो बार दिन में एटीएम परिसर की सफाई, एयरकंडीशन का चालू रहना, एटीएम मशीन का जीरो डाउन होना, सुरक्षा की दृष्टि से दृश्य और अदृश्य कैमरों का चालू रहना, एटीएम से हर प्रचालन की पर्ची निकलना, दरवाजे का बंद रहना ताकि एक समय में एक ग्राहक एटीएम में रहे, रात में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था, सुरक्षा के लिये गार्ड आदि इनके वार्षिक मेटीनैंस के कुछ प्रमुख हिस्से हैं जिनका पालन नहीं होता।

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