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Pratyay In Hindi | प्रत्यय , प्रकार , उदाहरण

Pratyay In Hindi:- किसी शब्द के अन्त में जोड़े जाने वाले शब्द या शब्दांश को प्रत्यय (Suffix) कहते हैं।

प्रत्यय वे शब्द हैं जो दूसरे शब्दों के अन्त में जुड़कर, अपनी प्रकृति के अनुसार, शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं। प्रत्यय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – प्रति + अय। प्रति का अर्थ होता है ‘साथ में, पर बाद में” और अय का अर्थ होता है “चलने वाला”, अत: प्रत्यय का अर्थ होता है साथ में पर बाद में चलने वाला। जिन शब्दों का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता वे किसी शब्द के पीछे लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं।

प्रत्यय का अपना अर्थ नहीं होता और न ही इनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व होता है। प्रत्यय अविकारी शब्दांश होते हैं जो शब्दों के बाद में जोड़े जाते है।कभी कभी प्रत्यय लगाने से अर्थ में कोई बदलाव नहीं होता है। प्रत्यय लगने पर शब्द में संधि नहीं होती बल्कि अंतिम वर्ण में मिलने वाले प्रत्यय में स्वर की मात्रा लग जाएगी लेकिन व्यंजन होने पर वह यथावत रहता है।

Pratyay In Hindi प्रत्यय , प्रकार , उदाहरण

Pratyay In Hindi प्रत्यय , प्रकार , उदाहरण

उदाहरण-

  • समाज + इक = सामाजिक
  • सुगंध +इत = सुगंधित
  • भूलना +अक्कड = भुलक्कड
  • मीठा +आस = मिठास
  • लोहा +आर = लुहार
  • नाटक +कार =नाटककार
  • बड़ा +आई = बडाई
  • टिक +आऊ = टिकाऊ
  • बिक +आऊ = बिकाऊ
  • होन +हार = होनहार
  • लेन +दार = लेनदार
  • घट + इया = घटिया
  • गाडी +वाला = गाड़ीवाला
  • सुत +अक्कड = सुतक्कड़
  • दया +लु = दयालु

Pratyay In Hindi

Pratyay kitne prakar ke hote hain (प्रत्यय के भेद) :- प्रत्यय के 3 प्रकार हैं-

(i) संस्कृत के प्रत्यय

(ii) हिंदी के प्रत्यय

(iii) विदेशी भाषा के प्रत्यय

(i)संस्कृत के प्रत्यय :- संस्कृत व्याकरण में जो प्रत्यय शब्दों और मूल धातुओं से जोड़े जाते हैं वे संस्कृत के प्रत्यय कहलाते हैं ।

जैसे :- त – आगत , विगत , कृत ।

संस्कृत प्रत्यय के प्रकार :-

(i)कृत प्रत्यय

(ii)तद्धित प्रत्यय

(i)कृत प्रत्यय-जो प्रत्यय धातु में जुड़कर संज्ञा अथवा विशेषण शब्दों की रचना करते हैं, उन्हें कृत प्रत्यय कहा जाता है. कृत प्रत्यय से बने शब्द कृदंत कहलाते हैं.

घातु         प्रत्यय        निर्मित शब्द

पठ           आई=            पढ़ाई

चल          अक=            चालक

(1) लेख, पाठ, कृ, गै , धाव , सहाय , पाल + अक = लेखक , पाठक , कारक , गायक , धावक , सहायक , पालक आदि ।

(2) पाल् , सह , ने , चर , मोह , झाड़ , पठ , भक्ष + अन = पालन , सहन , नयन , चरण , मोहन , झाडन , पठन , भक्षण आदि ।

(3) घट , तुल , वंद ,विद + ना = घटना , तुलना , वन्दना , वेदना आदि ।

(4) मान , रम , दृश्, पूज्, श्रु + अनिय = माननीय, रमणीय, दर्शनीय, पूजनीय, श्रवणीय आदि ।

(5) सूख, भूल, जाग, पूज, इष्, भिक्ष् , लिख , भट , झूल +आ = सूखा, भूला, जागा, पूजा, इच्छा, भिक्षा , लिखा ,भटका, झूला आदि ।

(6) लड़, सिल, पढ़, चढ़ , सुन + आई = लड़ाई, सिलाई, पढ़ाई, चढ़ाई , सुनाई आदि ।

(7) उड़, मिल, दौड़ , थक, चढ़, पठ +आन = उड़ान, मिलान, दौड़ान , थकान, चढ़ान, पठान आदि ।

(8) हर, गिर, दशरथ, माला + इ = हरि, गिरि, दाशरथि, माली आदि ।

(9) छल, जड़, बढ़, घट + इया = छलिया, जड़िया, बढ़िया, घटिया आदि ।

(10) पठ, व्यथा, फल, पुष्प +इत = पठित, व्यथित, फलित, पुष्पित आदि ।

(11) चर्, पो, खन् + इत्र = चरित्र, पवित्र, खनित्र आदि ।

(12) अड़, मर, सड़ + इयल = अड़ियल, मरियल, सड़ियल आदि ।

(13) हँस, बोल, त्यज्, रेत , घुड , फ़ांस , भार + ई = हँसी, बोली, त्यागी, रेती , घुड़की, फाँसी , भारी आदि ।

(14) इच्छ्, भिक्ष् + उक = इच्छुक, भिक्षुक आदि ।

(15) कृ, वच् + तव्य = कर्तव्य, वक्तव्य आदि ।

(16) आ, जा, बह, मर, गा + ता = आता, जाता, बहता, मरता, गाता आदि ।

(17) अ, प्री, शक्, भज + ति = अति, प्रीति, शक्ति, भक्ति आदि ।

(18) जा, खा + ते = जाते, खाते आदि ।

(19) अन्य, सर्व, अस् + त्र = अन्यत्र, सर्वत्र, अस्त्र आदि ।

(20) क्रंद, वंद, मंद, खिद्, बेल, ले , बंध, झाड़ + न = क्रंदन, वंदन, मंदन, खिन्न, बेलन, लेन , बंधन, झाड़न आदि ।

(21) पढ़, लिख, बेल, गा + ना = पढ़ना, लिखना, बेलना, गाना आदि ।

(22) दा, धा + म = दाम, धाम आदि ।

(23) गद्, पद्, कृ, पंडित, पश्चात्, दंत्, ओष्ठ् , दा , पूज + य = गद्य, पद्य, कृत्य, पाण्डित्य, पाश्चात्य, दंत्य, ओष्ठ्य , देय , पूज्य आदि।

(24) गे +रु = गेरू आदि ।

(25) देना, आना, पढ़ना , गाना + वाला = देनेवाला, आनेवाला, पढ़नेवाला , गानेवाला आदि ।

(26) बच, डाँट , गा, खा ,चढ़, रख, लूट, खेव + ऐया \ वैया = बचैया, डटैया, गवैया, खवैया ,चढ़ैया, रखैया, लुटैया, खेवैया आदि ।

(27) होना, रखना, खेवना + हार = होनहार, रखनहार, खेवनहार आदि ।

कृत प्रत्यय के भेद:

  1. कर्तृवाचक कृत प्रत्यय
  2. विशेषणवाचक कृत प्रत्यय
  3. भाववाचक कृत प्रत्यय
  4. कर्मवाचक कृत प्रत्यय
  5. करणवाचक कृत प्रत्यय
  6. क्रियावाचक कृत प्रत्यय

(ii) तद्धित प्रत्यय- धातु को छोड़कर अन्य शब्दोंं ( संज्ञा, विशेषण) आदि में जो प्रत्यय जोड़े जाते हैं उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं। इनमें बने शब्द तद्धितांत कहलाके हैं।

शब्द          प्रत्यय        तद्धितांत शब्द

लोहा          हा =            लोहार

कृपा          आलू=          कृपालु

सुख           इया=             सुखिया

मशाल       ची=                मशालची

हिन्दी में प्रयुक्त प्रत्ययों को स्थूल रूप से निम्नलिखित चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-

(क) तत्सम प्रत्यय
(ख) तद्भव प्रत्यय
(ग) देशज प्रत्यय, तथा
(घ) विदेशी प्रत्यय

(क) तत्सम प्रत्यय- इन प्रत्ययों का प्रयोग अधिकांश उन्हीं शब्दों में होता है, जो संस्कृत से सीधे हिन्दी में आए हैं अथवा जो संस्कृत की तरह ही हिन्दी में प्रयुक्त होने के कारण तत्सम कहलाते हैं. हिन्दी में प्रयुक्त तत्सम ये हैं-

1. अ-कौशल (कुशल), पौरुष (पुरुष), मौन (मुनि), गौरव (गुरु).

2. आ–प्रत्यय आकारान्त धातुओं में जोड़ा जाता है और इसके प्रयोग से संज्ञाएँ बनती हैं. जैसे-
पूजा (पूज्), कथा (कथ्)
इच्छा (इच्छ), शिक्षा (शिक्ष)
यहाँ कोष्ठक में मूल धातु दी गई है जिसमें आ प्रत्यय जोड़कर संज्ञाएं निर्मित की गई हैं.

3. लु–यह प्रत्यय संज्ञा से विशेषण बनाने के काम आता जैसे- दयालु, कृपालु, निद्रालु, लज्जालु आदि.

4. जीवी-इस प्रत्यय का प्रयोग जीने वाले के अर्थ में होता है, जैसे—अल्पजीवी, दीर्घजीवी, परजीवी, श्रमजीवी, बुद्धिजीवी आदि.

5. तया-यह प्रत्यय हिन्दी में ‘रूप से’ के अर्थ में प्रयुक्त होता है. वस्तुतः इस प्रत्यय का विकास संस्कृत के आकारांत स्त्रीलिंग शब्दों के तृतीया एकवचन के अन्तिम भाग से हुआ है, जैसे- साधारणतया, मुख्यतया, विशेषतया, सामान्यतया आदि.

6. ता- इस प्रत्यय का प्रयोग संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और सर्वनाम शब्दों से संज्ञा बनाने के लिए होता है, जैसे- (संज्ञा से) कविता, जनता, सहायता, शिशुता आदि, (विशेषण से) कुरूपता, कोमलता, नवीनता, समता, स्वतन्त्रता आदि, (सर्वनाम से) ममता, अहंता, निजता आदि. भाववाचक संज्ञाएं भी इससे बनती हैं.

त्व-इस प्रत्यय का प्रयोग मुख्यतया भाववाचक संज्ञा बनाने केलिए ही होता है, जैसे- कवित्व, लघुत्व, महत्व, गुरुत्व, अमरत्व, सतीत्व आदि.
7. वान्– यह प्रत्यय भी वाला के अर्थ में अपनाया जाता है, जैसे-गुणवान्, रूपवान्, धनवान्, बलवान् आदि.

8. शाली-इस प्रत्यय का प्रयोग भी वाला के अर्थ में होता है; जैसे—भाग्यशाली, बलशाली, शक्तिशाली, सौभाग्यशाली आदि.

9. इत- फलित (फल), हर्षित (हर्ष), पल्लवित (पल्लव) मुकुलित (मुकुल).

10. ईन-कुलीन (कुल), युगीन (युग), ग्रामीण (ग्राम).

11. ईय-भारतीय (भारत), भवदीय (भवत्), नारकीय (नरक), स्वकीय (स्व).

12. इल-पंकिल (पंक), फेनिल (फेन), धूपिल (धूप).

13. इम-अग्रिम (अग्र), अंतिम (अंत), पश्चिम (पश्च).

14. इमा–मधुरिमा (मधुर), गरिमा (गुरु), महिमा (महत्).

15. एय-कौन्तेय (कुन्ती), राधेय (राधा), गांगेय (गंगा).

16. कार–साहित्यकार (साहित्य), स्वर्णकार (स्वर्ण), पत्रकार (पत्र).

17. वती-भाग्यवती (भाग्य), रूपवती (रूप), प्रभावती (प्रभा)

18. द-जलद (जल), नीरद (नीर), दुःखद (दुःख).

19. जा–अर्कजा (अर्क), रविजा (रवि), तनुजा (तनु).

20. स्थ-कंठस्थ (कंठ), तटस्थ (तट), दूरस्थ (दूर).

21. ज्ञ-मनोज्ञ (मनः), सर्वज्ञ (सर्व), अल्पज्ञ (अल्प).

22. धर—विद्याधर (विद्या), चक्रधर (चक्र), मुरलीधर (मुरली).

(ख) तद्भव प्रत्यय-तद्भव प्रत्यय संस्कृत से विकसित हुए है और डॉ. भोलानाथ तिवारी इन्हें हिन्दी का अपना प्रत्यय बताते हैं. इन प्रत्ययों को तद्भव शब्दों के साथ जोड़ा जाता है. यथा-

1. अक-भनक, ठनक, तड़क, भड़क, खनक
2. अन-मिलन, घुटन, चलन, कहन, सहन.

3. आई-पढ़ाई, सिलाई, मिठाई, बुराई, लड़ाई.
4. आका-धमाका, सनाका, पटाका, लड़ाका.
5. आस-मिठास, खटास, प्यास, निदांस.
6. अल-मांसल, शीतल, घायल, श्यामल.
7. आंध-सडाँध, चिराध.
8. आर—सुनार, लुहार, गवार.
9. आल–ससुराल, ननिहाल, ददिआल, घड़ियाल.
10. आना-राजपूताना, घराना, तेलंगाना, पैताना.
11. आवट-मिलावट, लिखावट, तरावट, बनावट, रुकावट,
12. आहट–घबराहट, चिकनाहट, बुलाहट, कड़वाहट.
13. इन-लुहारिन, कहारिन, पुजारिन, तेलिन.
14. इयल–मरियल, सड़ियल, अड़ियल.
15. इया–लुटिया, डिबिया, चकिया, मुखिया, रसिया, मुम्बइया.
16. ई-टोकरी, चीनी, जापानी, पहाड़ी, गढ़वाली, हथौड़ी.
17. ईला–पथरीला, चमकीला, रेतीला, रौबीला.
18. उआ-गेरुआ, बबुआ, फगुआ.
19.ऊ-पेटू, चालू, ढालू, नक्कू, दब्बू.
20. एरा-ममेरा, चचेरा, फुफेरा, सपेरा, बहुतेरा.
21. ऐत-डकैत, लठैत, अल्हैत.
22. ऐला-विषैला, कसैला, मटैला, बनैला.
23. ओला-मंझोला, संपोला, खटोला.
24. औना-बिछौना, खिलौना.
25. टा–कलूटा, चोटा, रोंगटा.
26. ता-जागता, सोता, खाता, पीता.
27.ती-गिनती, जागती, सोती, चढ़ती, चलती.
28.त-बचत,खपत, रंगत, चाहत.
29. नी-ओढ़नी, चटनी, मिलनी, करनी.
30.ड़ा-बछड़ा, मुखड़ा, दुखड़ा, चपड़ा.
31.पा-बुढ़ापा, मोटापा, रंडापा.
32.पन-बचपन, लड़कपन, बालपन, पागलपन,
33.ल, ला-मंजुल, घुघला, मंजुला, निचला.
34. वान–गाड़ीवान, कोचवान.
35.वां-छठवाँ, सातवाँ, आठवाँ, पांचवाँ.
36.वाल-कोतवाल.
37. वाला-रखवाला, घरवाला, तांगेवाला.
38. सरा-दूसरा, तीसरा.

39. हरा-दुहरा, तिहरा, चौहरा, सुनहरा.
40. हार-खेवनहार, पालनहार, भूमिहार, होनहार

(ग) देशज प्रत्यय-वे प्रत्यय जिनकी व्युत्पत्ति का पता नहीं इस वर्ग में आते हैं. यथा-

1. अक्कड़-भुलक्कड़, पियक्कड़, सुवक्कड़, घुमक्कड़.
2. अड़-अन्धड़, भुक्खड़.
3. आक-तैराक, खटाक, तड़ाक.
4. आटा-सन्नाटा, खर्राटा, फर्राटा.

(घ) विदेशी प्रत्यय-हिन्दी में विदेशी प्रत्यय तीनो स्रोतों से आए हैं-अरबी, फारसी और अंग्रेजी.

प्रत्येक के प्रत्यय एव उनसे बने कतिपय शब्दों के उदाहरण यहाँ दिए जा रहे हैं-

अरबी के प्रत्यय और उनसे निर्मित हिन्दी में प्रयुक्त शब्द

अन्-मसलन, जबरन
आनी–रुहानी, बर्फानी
इयत्-आदमियत, इन्सानियत
ई-नादानी, नाराजी, खूबसूरती, पहलवानी

फारसी के प्रत्यय और उनसे निर्मित हिन्दी में प्रयुक्त शब्द

अ-खरीदा, पहुँचा
आ-जानना, छूटना
आना-रोजाना, सालाना
इश-कोशिश, मालिश, फरमाइश
ई-आमदनी, खुशी, बंदी, सिपाही
कार-काश्तकार, सलाहकार
गर-सौदागर, कारीगर
गार-मददगार, यादगार
चा-चमचा, गलीचा, बगीचा
दान-खानदान, इत्रदान, पीकदान
बान-मिहरबान
नामा-सरनामा, मुख्तारनामा, इकरारनामा
आब-गुलाब, शराब
नाक-खौफनाक
ई-देहाती, खाकी
ईन-शौकीन, नमकीन

मंद-दौलतमंद, अक्लमंद
बर-जानवर, ताकतवर, हिम्मतवर
ईना-कमीना, महीना, पश्मीना
अंदाज-तीरंदाज
खोर-हरामखोर, सूदखोर
गीर-राहगीर, जहाँगीर
दान-कदरदान
दार-मालदार, दूकानदार, जमींदार, फौजदार, चोबदार
नुमा-कुतुबनुमा
नशीन-परदानशीन
बंद-बिस्तरबंद, कमरबंद, गलाबंद, हथियारबंद.
पोश-पापोश, सफेदपोश
साज-जालसाज, घड़ीसाज
बाज–दगाबाज, नशेबाज, कबूतरबाज, चालबाज, ठट्टेबाज.
आबाद-इलाहाबाद, फिरोजाबाद, अहमदाबाद.
खाना-कारखाना, दवाखाना, दौलतखाना
गाह-चरागाह, बन्दरगाह, दरगाह, ईदगाह
शन-गुलशन
सार-खाकसार
इस्तान-हिन्दुस्तान, कब्रिस्तान, अफगानिस्तान, राजस्थान

अंग्रेजी के प्रत्यय जिनसे निर्मित शब्द हिन्दी में प्रयुक्त होते हैं.

इज्म-गांधीइज्म, जैनिज्म, रोमाण्टिसिज्म, मासिज्म,
इस्ट-सोशलिष्ट, बुद्धिस्ट, मार्किस्ट.
डम-गुरुडम, पडितडम, स्टारडम

प्रत्ययों का महत्व

1. हिन्दी में शब्द (रचना) के लिए प्रत्ययों का प्रचुरता से उपयोग किया जाता है.

2. धातु में प्रत्यय जोड़कर भाववाचक संज्ञा (कृदंत) शब्द निर्मित होते हैं यथा-
लड़ + आई = लड़ाई, भिड़ + अन्त = भिड़न्त
सज + आवट = सजावट, चाट + नी = चटनी

3. धातु में प्रत्यय जोड़कर करण वाचक संज्ञाएं भी बनाई जाती हैं-

मथ + 1 = मथानी, बेल + अन = बेलन
झाड़ + ऊ = झाडू, रेत + ई = रेती.

4. धातु में प्रत्यय जोड़कर, विशेषण शब्द निर्मित होते हैं-
तैर + आक = तैराक, झगड़ + आलू = झगड़ालू,
मर + इयल = मरियल, रख + वाला = रखवाला

5. जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाने के लिए प्रत्ययों का प्रयोग होता है. जैसे-
वीर + ता = वीरता, मनुष्य + त्व = मनुष्यत्व,
लड़का + पन = लड़कपन, शूर + ता = शूरता

6. व्यक्तिवाचक संज्ञा से संतानवाचक सज्ञा शब्द भी प्रत्ययों के योग से निर्मित होते हैं. जैसे—

कुन्ती + एय = कौन्तेय,

दिति +य = दैत्य,  मनु + अ = मानव

7. विशेषण से भाववाचक संज्ञा बनाने में भी प्रत्यय प्रयुक्त होते हैं. यथा-
वीर + ता = वीरता, लघु + त्व = लघुत्व.
कड़वा + आहट = कड़वाहट, काला + पन = कालापन

8. संज्ञा से विशेषण बनाने में भी प्रत्यय प्रयुक्त होते हैं-
मुख + इक = मौखिक, निशा + अ = नैश
अर्थ + इक = आर्थिक, कृपा + लु = कृपालु

9. क्रिया से विशेषण बनाने में भी इसका प्रयोग होता है,
सोना + अक्कड़ = सुवक्कड़, हँसना + ओड़ = हँसोड़.

10. क्रिया से संज्ञा भी प्रत्ययों के योग से बनाई जाती है.
चराना-चराई, गाना-गान, छींकना-छींक.

उपसर्ग और प्रत्यय का एकसाथ प्रयोग :

कुछ ऐसे भी शब्द हैं, जिनकी रचना उपसर्ग तथा प्रत्यय दोनों के योग से होती है । जैसे –

  • अभि (उपसर्ग) + मान + ई (प्रत्यय) = अभिमानी
  • अप (उपसर्ग) + मान + इत (प्रत्यय) = अपमानित
  • परि (उपसर्ग) + पूर्ण + ता (प्रत्यय) = परिपूर्णता
  • दुस् (उपसर्ग) + साहस + ई (प्रत्यय) = दुस्साहसी
  • बद् (उपसर्ग) + चलन + ई (प्रत्यय) = बदचलनी
  • निर् (उपसर्ग) + दया + ई (प्रत्यय) = निर्दयी
  • उप (उपसर्ग + कार + क (प्रत्यय) = उपकारक
  • सु (उपसर्ग) + लभ + ता (प्रत्यय) = सुलभता
  • अति (उपसर्ग) + शय + ता (प्रत्यय) = अतिशयता
  • नि (उपसर्ग) + युक्त + इ (प्रत्यय) = नियुक्ति
  • प्र (उपसर्ग) + लय + कारी (प्रत्यय) = प्रलयकार

प्रतियोगी परिक्षाओं में पूछे गये कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न–निम्नलिखित शब्दों में कौनसा प्रत्यय प्रयुक्त है?
(1) मूलतः

(2) सामान्यतया

(3) एक दा

(4) सर्वबहुधा

(5) बलवान्

(6) शक्तिशाली

(7) नंगधडंग

(8) रटंत

(9) बैठक

(10) लपट

(11) जहाँ

(12) दिखाई

(13) जुआड़ी

(14) जुआरी

(15) दिवाली

(16) मेरी

(17) रसिया

(18) चौला

(19) लेन-देन

(20) मटियल

(21) मूर्खानंद

(22) धमाका

(23) घुमक्कड़

उत्तरमाला
(1) तः

(2) तथा

(3) दा

(4) धा

(5) वान्

(6) शाली

(7)अंग

(8) अंत

(9) अक

(10) अट

(11)

(12) आइ

(13)आड़ी

(14) आरी

(15) आली

(16)

(17) इया

(18) था

(19)

(20) इयल

(21) आनंद

(22) आका

(23) अक्कड़

Upsarg ( उपसर्ग ) के बारे में भी जाने – Click here

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