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Visheshan ( विशेषण ) , परिभाषा , भेद , की पूरी जानकारी

Visheshan ( विशेषण ) परिभाषा :-  संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द ‘विशेषण’ कहलाते है। जैसे- बड़ा, काला, लम्बा, दयालु आदि।

  • विशेषण एक ऐसा विकारी शब्द है, जो हर हालत में संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है।

उदाहरणार्थ :

संज्ञा से : पेटू, लोभी, पहाड़ी क्रोधी आदि।

सर्वनाम से : इतना, कितना, आप वाली आदि।

क्रिया से : चलती ट्रेन, खाया मुँह, नृत्य करने वाली नायिका, पढ़ता बालक आदि।

अव्यय से : बाहरी व्यक्ति, भीतरी बातें आदि।

सर्वनाम की तरह ही विशेषण का प्रयोग होता है।

उदाहणार्थ :

  • एक-दूसरे से मित्रता रखो।
  • यहाँ तो एक आता है, एक जाता है।

विशेष्य : जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बताई जाये वह विशेष्य कहलाते हैं। यथा-गीता सुन्दर है। इसमें ‘सुन्दर विशेषण है और ‘गीता’ विशेष्य है।

विशेषण और विशेष्य : विशेषण शब्द विशेष्य से पूर्व भी आते और उसके बाद भी।

विशेषण , परिभाषा , भेद , की पूरी जानकारी

विशेषण , परिभाषा , भेद , की पूरी जानकारी

Visheshan (विशेषण के कार्य)

1.किसी वस्तु अथवा व्यक्ति की विशेषता बतलाना जैसे- रमेश स्वस्थ है। (विशेषण ‘स्वस्थ व्यक्ति रमेश की विशेषता बतलाता हैं। )

  • लाल ‘घोड़ा’ दौड़ रहा है।
    (विशेषण लाल ‘घोड़ा’ की विशेषता बतलाता है।)

2.हीनता का बोध जैसे- 

बीमार वृद्ध। (विशेषण ‘बीमार’ हीनता को बतलाता है।)

  • बीमार वृद्ध।

(विशेषण ‘बीमार’ हीनता को बतलाता है।)।

3.अर्थ सीमित करना जैसे-

पढ़ते छात्र। (केवल पढ़ते छात्रों तक सीमित अर्थ)

  • पढ़ते छात्र!

(केवल पढ़ते छात्रों तक सीमित अर्थ है।)

4.संख्या का बोध कराना जैसे-

पाचवाँ बालक। (विशेषण ‘पाँचवाँ’ संख्या बोधक है।)
‘पाचवाँ’ बालक । (विशेषण ‘पाचवाँ’ संख्या अधिक है।)

5. मात्रा का बोध जैसे- दस किलो गेहूँ। ( विशेषण ‘दस किलो’ मात्रा को बोधक हैं। )

विशेषण के भेद ( Visheshan Ke Bhed )

Visheshan विशेषण के चार भेद होते हैं-

  1. गुणवाचक विशेषण
  2. संख्यावाचक विशेषण
  3. परिणामवाचक विशेषण
  4. सकेतवाचक अथवा सार्वनामिक विशेषण

गुण, संख्या और परिणाम के आधार पर विशेषण के पदों के भेदो का वर्गीकरण इस प्रकार है-

veshesad

1. गुणवाचक विशेषण परिभाषा – जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के गुण-दोष का बोध हो, वे गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं।

जैसे-

(1) भाव-अच्छा, बुरा, कायर, वीर, डरपोक आदि।
(2) रंग-लाल, हरा, पीला, सफेद आदि।
(3) दशा-पतला, मोटा, सूखा, गाढ़ा, पिघला, भारी आदि।
(4) आकार-गोल, सुडौल, नुकीला आदि।
(5) समय-अगला, पिछला, दोपहर, संध्या, सवेरा आदि।
(6) स्थान-ऊँचा, नीचा, गहरा, लम्बा, चौड़ा आदि।
(7) गुण-भला, बुरा, सुन्दर, मीठा, खट्टा, दानी आदि।
(8) दिशा-उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी आदि।

2. संख्यावाचक विशेषण परिभाषा- जिन विशेषण शब्दों से संख्या का बोध हो, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे- चार लड़के, पंचम वर्ग।

  • संख्यावाचक विशेषण के दो भेद हैं-

(I) निश्चित संख्यावाचक,
(II). अनिश्चित संख्यावाचक

(I) निश्चित संख्यावाचक: जिस विशेषण से किसी निश्चित संख्या का बोध हो, उसे निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं, जैसे-
चार लड़के।

(II) अनिश्चित संख्यावाचक : जिन विशेषणो से विशेष्य की अनिश्चित संख्या का बोध होता हैं, वे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे – कुछ, कई, काफी आदि।

3. परिमाणवाचक विशेषण परिभाषा : जिन विशेषण शब्दों से किसी वस्तु की मात्रा अथवा नाप-तौल का ज्ञान हो, वे परिमाण वाचक कहलाते है। जैसे-थोड़ा, बहुत, तीन मीटर आदि।

परिमाणवाचक के दो भेद हैं-

(I)निश्चित परिमाणवाचक.

(II)अनिश्चित परिमाणवाचक

(I)निश्चित परिमाणवाचक:  जिन विशेषण शब्दो से वस्तु निश्चित मात्रा का ज्ञान हो जैसे-
जैसे- सौ ली० दूध, डलिया-भर अमरूद आदि।

(II)अनिश्चित परिमाणवाचक: जिन विशेषण शब्दों से अनिश्चित मात्रा का ज्ञान हो जैसे- थोड़ा जल, इतना चीनी, इतना दूध।

4. सार्वनामिक विशेषण ( संकेतवाचक) परिभाषा : जो सर्वनाम शब्द विशेषण की भाँति प्रयुक्त होते हैं, उन्हें सार्वनामिक
विशेषण कहते हैं। जैसे-
यह लड़का हमारे कालेज का है।
वह आदमी हमारा मित्र है।

यह, वह सर्वनाम क्रमश: लड़का और आदमी की विशेषता बताते अत: ये सार्वनामिक विशेषण हुए। प्रायः सभी प्रकार के सर्वनाम विशेषणों का कार्य कर सकते है। अतः सर्वनामों के अलग-अलग भेद होने के कारण सार्वनामिक विशेषणों के भी निम्नलिखित भेद हो जाते हैं-

(क) संकेतवाचक/निश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण-आप जानते हैं, यह, वह, इस, उस संकेतवाचक या निश्चयवाचक सर्वनामों के
उदाहरण हैं। जब ये सर्वनाम संज्ञा की विशेषता बताते हैं तब निश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण कहलाते है। जैसे-

(1) इस किताब को जरुर पढ़िए।
(2) वह लड़का कहाँ चला गया।
(3) उस घर में कौन रहता है?

(ख) अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण-जहाँ अनिश्चयवाचक सर्वनाम ‘कोई’, ‘कुछ’ विशेषण के रुप में प्रयुक्त होते हैं। जैसे-
(1) मुझे कहानी की कोई किताब खरीदनी है।
(2) कुछ लोग मेरे घर आने वाले हैं।

(ग) प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण-जब कौन, क्या, किस सर्वनाम रूपों का प्रयोग विशेषण के रूप में होता है। जैसे-
(1) कौन-सा मकान आपको पसंद आया?
(2) किस आदमी से मिलने जाना है?
(3) कौन लोग थे वे?

(घ) संबंधवाचक सार्वनामिक विशेषण-जब संबंधवाची सर्वनामों जैसे- मेरा, हमारा, तेरा, तुम्हारा, इसका, उसका, जिसका, उनका
आदि का प्रयोग विशेषण के रूप में किया जाता है। जैसे-
(1) उनकी साड़ी सुन्दर है।
(2) मेरा बेटा घर नहीं पहुंचा।
(3) उनके घर आज कथा हो रही है।

प्रविशेषण

हिन्दी में कुछ विशेषणों के भी विशेषण होते हैं, इन्हे प्रविशेषण कहते हैं। जैसे-

  • राम अत्यधिक तेज छात्र हैं। ( यहाँ तेज विशेषण हैं और उसका भी विशेषण अत्यधिक हैं। )
  • नीतू अति सुन्दर लड़की हैं। ( यहाँ अति प्रविशेषण हैं )

विशेषण और विशेष्य में सम्बन्ध

वाक्य में विशेषण का प्रयोग दो प्रकार से होता है।
1. विशेष्य विशेषण
2 विधेय विशेषण
1. विशेष्य विशेषण :विशेष्य‘ के पहले आने वाले विशेषण को ‘विशेष्य विशेषण‘ कहते हैं। जैसे-
• लाल घोड़ा दौड़ रहा है। (यहाँ लाल ‘विशेष्य’ विशेषण है)
• राम चंचल लड़का है। (यहाँ चंचल ‘विशेष्य विशेषण‘ है।)

2. विधेय विशेषण : विशेष्य के बाद और क्रिया के पहले आने वाले विशेषण को ‘विधेय विशेषण‘ कहते हैं। जैसे-
• मेरा कुत्ता काला है। (यहाँ काला बिधेय विशेषण है।)
• मेरी गाय सीधी है। (यहाँ सीधी विधेय-विशेषण है।)
यहाँ विशेष रूप से ध्यान दें-

1. विशेषण के लिंग और वचन विशेष्य के लिंग और वचन के अनुसार होते हैं, चाहे विशेषण के पहले आये या पीछे।
जैसे- • बड़ा आदमी सुन्दर स्वभाव का होता है।
• सरिता भली लड़की है।

2. यदि एक ही विशेषण के अनेक विशेष्य हों, तो विशेषण के है, तब लिंग और वचन समीप वाले विशेष्य के लिंग, वचन अनुसार होंगे।
जैसे- अच्छी कलम और कागज।
• नये पुरुष और नारियाँ।
• पीला कुर्ता और धोती।

विशेष्य-विशेषण (Visheshan) की महत्वपू्र्ण सूची

विशेष्य

विशेषण

अपनाम अपमानित
अपेक्षा अपेक्षित
अधिकार आधिकारिक
अध्यात्म आध्यात्मिक
अनुमान अनुमानित
अंकुरण अंकुरणीय
अनुराग अनुरक्त
अणु आण्विक
अनुशासन अनुशासित
अपमान अपमानित
अधिक्रमण अधिक्रांत

अक्ल

अक्लमंद
अकर्म अकर्मण्य
अलंकार अलंकृत

अवतार

अवतीर्ण
अभिषेक अभिषिक्त
अवयव आवयविक
अनुश्रिति अनुश्रुत

अनुष्ठान

अनुष्ठित
आदि आदिम
आधार आधारित
आश्राय आश्रित
आशा आशान्वित
आकाश आकाशीय
आयु आयुष्मान

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