Bhav Vachak Sangya (भाववाचक संज्ञा की परिभाषा ):- जो शब्द किसी चीज़ या पदार्थ की अवस्था, दशा या भाव का बोध कराते हैं, उन शब्दों को भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
या -जिस संज्ञा शब्द से पदार्थों की अवस्था, गुण-दोष, धर्म आदि का बोध हो उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-बुढ़ापा, मिठास, बचपन, मोटापा, चढ़ाई, थकावट आदि।
भाववाचक संज्ञा के भेद- भाववाचक संज्ञा के दो भेद हैं
1-समुदायवाचक संज्ञा
2-द्रव्यवाचक संज्ञा
भाववाचक संज्ञा का निर्माण- भाववाचक संज्ञा बनाने का प्राचीन नियम यह भी था कि विशेषण के अन्त में ई, पन, हट, वा, पर, स प्रत्यय जोड़ दिया जाए तथा संस्कृत की धातु के अन्त में ता, त्व जोड़ दिया जाए, परन्तु अब इस प्रक्रिया को अत्यन्त व्यापक तथा सर्वथा वैज्ञानिक रूप प्रदान कर दिया जाता है।
1. जातिवाचक संज्ञा से- नर-नरता नारी-नारीत्व, बूढा-बुढ़ापा, मनुष्य-मनुष्यता आदि।
2. व्यक्तिवाचक संज्ञा से- राम-रामत्व, रावण-रावणत्व, शिव- शिवत्व आदि।
3. सर्वनाम से- अपना-अपनत्व, अहं-अहंकार, मम- ममता, ममत्व आदि।
4. विशेषण से-कठोर-कठोरता, गुरु-गुरुता, चौड़ा-चौड़ाई, बहुत- बहुतायत, सुन्दर-सुन्दरता, सौंन्दर्य आदि।
5. क्रिया से-खेलना-खेल, दिखाना-दिखावा, पढ़ना-पढ़ाई, बचना- बचत, बूझना-बुझौवल, मारना-मार, मिलना-मिलाप आदि।
6. अव्यय से- समीप-सामीप्य, दूर-दूरी आदि।
Bhav Vachak Sangya भाववाचक संज्ञा के उदाहरण
ज्यादा दोड़ने से मुझे थकान हो जाती है।
लगातार परिश्रम करने से सफलता मिलेगी।
लगातार खेलने से मुझे थकान हो गई है।
गरीबी के कारण बहुत बच्चे स्कूल नहीं जा पाते।
तुम साहस करो तो यह काम हो सकता है।
उसकी आवाज़ में बहुत मिठास है।
अनेक संघर्षों के बाद हमें आज़ादी मिली है।
(1) जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना
जातिवाचक संज्ञा-भाववाचक संज्ञा
स्त्री- स्त्रीत्व
मनुष्य- मनुष्यता
शास्त्र- शास्त्रीयता
पशु- पशुता
दनुज- दनुजता
पात्र- पात्रता
लड़का- लड़कपन
दास- दासत्व
अध्यापक- अध्यापन
भाई- भाईचारा
पुरुष- पुरुषत्व, पौरुष
जाति- जातीयता
बच्चा- बचपन
नारी- नारीत्व
बूढा- बुढ़ापा
मित्र- मित्रता
पण्डित- पण्डिताई
सेवक- सेवा
(2) विशेषण से भाववाचक संज्ञा बनाना
विशेषण- भाववाचक संज्ञा
लघु- लघुता, लघुत्व, लाघव
एक- एकता, एकत्व
खट्टा- खटाई
गँवार- गँवारपन
बूढा- बुढ़ापा
नवाब- नवाबी
बड़ा- बड़ाई
भला- भलाई
ढीठ- ढिठाई
लाल- लाली, लालिमा
सरल- सरलता, सारल्य
परिश्रमी- परिश्रम
गंभीर- गंभीरता, गांभीर्य
स्पष्ट- स्पष्टता
अधिक- अधिकता, आधिक्य
सर्द- सर्दी
मीठा- मिठास
सफेद- सफेदी
मूर्ख- मूर्खता
वीर- वीरता, वीरत्व
चालाक- चालाकी
गरीब- गरीबी
पागल- पागलपन
मोटा- मोटापा
दीन- दीनता, दैन्य
सुंदर- सौंदर्य, सुंदरता
बुरा- बुराई
चौड़ा- चौड़ाई
बेईमान- बेईमानी
आवश्यकता- आवश्यकता
अच्छा- अच्छाई
सभ्य- सभ्यता
भावुक- भावुकता
गर्म- गर्मी
कठोर- कठोरता
चतुर- चतुराई
श्रेष्ठ- श्रेष्ठता
राष्ट्रीय- राष्ट्रीयता
(3) क्रिया से भाववाचक संज्ञा बनाना
क्रिया- भाववाचक संज्ञा
खोजना- खोज
जीतना- जीत
लड़ना- लड़ाई
चलना- चाल, चलन
देखना- दिखावा, दिखावट
सींचना- सिंचाई
पहनना- पहनावा
लूटना- लूट
घटना- घटाव
बोलना- बोल
झूलना- झूला
कमाना- कमाई
रुकना- रुकावट
मिलना- मिलावट
भूलना- भूल
बैठना- बैठक, बैठकी
घेरना- घेरा
फिसलना- फिसलन
रँगना- रँगाई, रंगत
उड़ना- उड़ान
मुड़ना- मोड़
चढ़ना- चढाई
मारना- मार
गिरना- गिरावट
सीना- सिलाई
रोना- रुलाई
पढ़ना- पढ़ाई
पीटना- पिटाई
समझना- समझ
पड़ना- पड़ाव
चमकना- चमक
जोड़ना- जोड़
नाचना- नाच
पूजना- पूजन
जोतना- जुताई
बचना- बचाव
बनना- बनावट
बुलाना- बुलावा
छापना- छापा, छपाई
बढ़ना- बाढ़
छींकना- छींक
खपना- खपत
मुसकाना- मुसकान
घबराना- घबराहट
सजाना- सजावट
बहना- बहाव
दौड़ना- दौड़
कूदना- कूद
(4) संज्ञा से विशेषण बनाना
संज्ञा- विशेषण
अंत- अंतिम, अंत्य
अवश्य- आवश्यक
अभिमान- अभिमानी
इच्छा- ऐच्छिक
ईश्र्वर- ईश्र्वरीय
उन्नति- उन्नत
काम- कामी, कामुक
कुल- कुलीन
क्रम- क्रमिक
किताब- किताबी
कंकड़- कंकड़ीला
क्रोध- क्रोधी
आसमान- आसमानी
आदि- आदिम
अपराध- अपराधी
जवाब- जवाबी
जाति- जातीय
झगड़ा- झगड़ालू
तेल- तेलहा
दान- दानी
दया- दयालु
दूध- दुधिया, दुधार
धर्म- धार्मिक
खपड़ा- खपड़ैल
खर्च- खर्चीला
गाँव- गँवारू, गँवार
गुण- गुणी, गुणवान
घमंड- घमंडी
चुनाव- चुनिंदा, चुनावी
पश्र्चिम- पश्र्चिमी
पेट- पेटू
प्यास- प्यासा
पुस्तक- पुस्तकीय
प्रमाण- प्रमाणिक
पिता- पैतृक
बालक- बालकीय
भ्रम- भ्रामक, भ्रांत
भूगोल- भौगोलिक
मन- मानसिक
माह- माहवारी
मुख- मौखिक
नियम- नियमित
निश्र्चय- निश्र्चित
नौ- नाविक
पाठ- पाठ्य
पीड़ा- पीड़ित
पहाड़- पहाड़ी
राष्ट्र- राष्ट्रीय
लोक- लौकिक
वेद- वैदिक
व्यापर- व्यापारिक
विस्तार- विस्तृत
विज्ञान- वैज्ञानिक
विष्णु- वैष्णव
शास्त्र- शास्त्रीय
समय- सामयिक
सिद्धांत- सैद्धांतिक
स्वास्थ्य- स्वस्थ
मामा- ममेरा
मैल- मैला
रंग- रंगीन, रँगीला
साल- सालाना
समाज- सामाजिक
स्वर्ग- स्वर्गीय, स्वर्गिक
समुद्र- सामुद्रिक, समुद्री
सुर- सुरीला
क्षण- क्षणिक
अर्थ- आर्थिक
अंश- आंशिक
अनुभव- अनुभवी
इतिहास- ऐतिहासिक
उपज- उपजाऊ
कृपा- कृपालु
काल- कालीन
केंद्र- केंद्रीय
कागज- कागजी
काँटा- कँटीला
कमाई- कमाऊ
आवास- आवासीय
आयु- आयुष्मान
अज्ञान- अज्ञानी
चाचा- चचेरा
जहर- जहरीला
जंगल- जंगली
तालु- तालव्य
देश- देशी
दिन- दैनिक
दर्द- दर्दनाक
धन- धनी, धनवान
नीति- नैतिक
खेल- खेलाड़ी
खून- खूनी
गठन- गठीला
घर- घरेलू
घाव- घायल
चार- चौथा
पूर्व- पूर्वी
प्यार- प्यारा
पशु- पाशविक
पुराण- पौराणिक
प्रकृति- प्राकृतिक
प्रांत- प्रांतीय
बर्फ- बर्फीला
भोजन- भोज्य
भारत- भारतीय
मास- मासिक
माता- मातृक
नगर- नागरिक
नाम- नामी, नामक
न्याय- न्यायी
नमक- नमकीन
पूजा- पूज्य, पूजित
पत्थर- पथरीला
रोग- रोगी
रस- रसिक
लोभ- लोभी
वर्ष- वार्षिक
विष- विषैला
विवाह- वैवाहिक
विलास- विलासी
शरीर- शारीरिक
साहित्य- साहित्यिक
स्वभाव- स्वाभाविक
स्वार्थ- स्वार्थी
स्वर्ण- स्वर्णिम
मर्द- मर्दाना
मधु- मधुर
रोज- रोजाना
सुख- सुखी
संसार- सांसारिक
सप्ताह- सप्ताहिक
संक्षेप- संक्षिप्त
सोना- सुनहरा
हवा- हवाई
(5) क्रिया से विशेषण बनाना
क्रिया- विशेषण
लड़ना- लड़ाकू
अड़ना- अड़ियल
लूटना- लुटेरा
पीना- पियक्कड़
जड़ना- जड़ाऊ
पालना- पालतू
टिकना- टिकाऊ
बिकना- बिकाऊ
भागना- भगोड़ा
देखना- दिखाऊ
भूलना- भुलक्कड़
तैरना- तैराक
गाना- गवैया
झगड़ना- झगड़ालू
चाटना- चटोर
पकना- पका
(6) सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा बनाना
सर्वनाम- भाववाचक संज्ञा
अपना- अपनापन /अपनाव
निज- निजत्व, निजता
स्व- स्वत्व
अहं- अहंकार
मम- ममता/ ममत्व
पराया- परायापन
सर्व- सर्वस्व
आप- आपा
(7) क्रिया विशेषण से भाववाचक संज्ञा
मन्द- मन्दी;
दूर- दूरी;
तीव्र- तीव्रता;
शीघ्र- शीघ्रता इत्यादि।
(8) अव्यय से भाववाचक संज्ञा
परस्पर- पारस्पर्य;
समीप- सामीप्य;
निकट- नैकट्य;
शाबाश- शाबाशी;
वाहवाह- वाहवाही
धिक्- धिक्कार
शीघ्र- शीघ्रता